मोदी किस-किस की नैया पार लगाएंगे?कहीं डराकर तो कहीं डरकर लेते मोदी का नाम
पड़ोस में इसी साल और अपने यहाँ अगले साल देशव्यापी चुनाव होने हैं। क्या आपको पता है इन दोनों ही चुनाव में एक खास मुद्दा है जिसको चुनाव जीतने की चाबी के रूप में देखा जा रहा है।
इसी महीने,25 जुलाई को होने जा रहे पाकिस्तान चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? सोचिए! बिजली, पानी, सड़क, आतंकवाद, या गरीबी…बिल्कुल नहीं। अगर ऐसा आप सोचते हैं तो गलत हैं आप। हरबार जहाँ कश्मीर पाक का खास मुद्दा हुआ करता था,वहां इस बार माजरा कुछ और ही है। पाकिस्तान कहीं भी चला जाये,किसी विदेशी फोरम पर हो या किसी आतंकी मिशन पर हर जगह टारगेट पर कश्मीर और भारत हुआ करता था। पर इसबार ना तो कश्मीर मुद्दा है न ही भारत। इस बार वहां का चुनाव लड़ रही अमूमन सभी पार्टियों ने कश्मीर के मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में लगभग आखिर या उससे एक-दो पन्ने पहले जगह दी है।आपको ये जानकर हैरत होगी कि मुद्दा तो भारत से ही जुड़ा है पर थोड़ा अलग है। जी हाँ इस बार पाकिस्तान के चुनाव में हर दल प्रधानमंत्री मोदी को मुद्दा बनाये हुए है। हलाकि ये अचानक भी नहीं हुआ है। कुछ दिन पहले कश्मीर के कुछ नेताओं ने मोदी के क्रियाकलाप को मिसाल के रूप में पेश कर अपनाने का तर्क दिया था। खासकर भ्रष्टाचार पर मोदी की चर्चा करना पाकिस्तानी नेता भूलते नहीं। कहते हैं पाकिस्तान में मोदी की तरह कोई सख्त शाशक हो तो पनामा सरीखा भ्रष्टाचार नहीं हो। दरअसल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी पड़ोसी मुल्क में हो रहे आम चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा बने हुए हैं।
दूसरी तरफ मोदी का नाम इसलिए लेना पड़ रहा है कि पाक का हर दल ये बताना चाहता है कि मोदी ने अपने मिशन से पाक को हरजगह नीचे दिखाया है। सबको मोदी से शिकायत है। कोई कह रहा है कि मोदी की सधी हुई विदेश नीति ने पाकिस्तान को वैश्विकमंच पर अलग-थलग कर दिया तो किसी की शिकायत है कि एक अकेला मोदी देखो भारत को कहां पहुंचा रहा है और हमारे यहां लोग अपनी जेबें भरने में जुटे हुए हैं। वैसे तो पाकिस्तानी चुनाव में भारत विरोध हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत विरोध से ज्यादा पाकिस्तान में मोदी विरोध के नाम पर नेता वोट मांग रहे हैं।
आतंकी सरगना,मुम्बई मामले का मास्टर-माइंड हाफिज भी इस बार चुनावी मैदान में है और बार-बार भारत विरोधी आग उगलता रहता है और पी एम मोदी का नाम ले-लेकर कोसता रहता है और वहां की अवाम को भटका कर चुनावी नैया पार करना चाहता है। पनामा पेपर मामले में अपदस्थ पाक के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ बेशक खुद चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) जीत के लिए बार-बार मोदी का नाम लेकर मतदताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है। नवाज के भाई शहबाज शरीफ चुनाव रैलियों में यह कहकर अपनी भड़ास निकाल रहे है कि पड़ोसी देश में एेसी क्या बात है कि वो विश्व मंच पर अपनी पैठ बढ़ा रहा है और मोदी के पास एेसी कौन सी जादू की छड़ी है जो वो जिस देश में जाते हैं अपनी कूटनीतियों से उस मुल्क को अपना कायल बना लेते हैं। पाकिस्तान पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शाहबाज शरीफ ने कहा है कि भारत जी-20 में पहुंच गया और पाकिस्तान आज भी केवल तमाशा देख रहा है।पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने चुनावी रैलियों में जहा नवाज शरीफ और मोदी की दोस्ती पर सवाल उठाए हैं वहीं उन्होंने मोदी की तारीफों के पुल भी बांधे हैं। इमरान कहते हैं कि जो भी हो मोदी है ईमानदार इंसान। अगर वो चोर या भ्रष्टाचारी होता तो उसके भी विदेशों में बैंक खाते होते। यही नहीं उनकी पार्टी के कार्यकर्ता पाकिस्तान में एक नारा भी लगा रहे हैं। वह चुनाव प्रचार के दौरान कहते हैं कि मोदी का जो यार है वो गद्दार है, गद्दार है। इमरान के इस बयान के बाद भारत में भी राजनीति गर्मा गई है।
इसके अलावा कई और मुद्दे ऐसे हैं जिसके बारे में कहा जा रहा है कि मोदी की वजह से ही ऐसा हो रहा है,जैसे नदी का पानी रोक देना, कश्मीर में आतंकियों पर कड़ा प्रहार और अतीत में हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देना,वगैरह-वगैरह।
हलाकि 25 जुलाई को पाकिस्तान में चुनाव हो जायेंगे,जल्द ही अंजाम भी सामने होंगे ,मोदी का नाम जपकर पाक के किस पार्टी या नेता को कितना नफा-नुक्सान हुआ वो भी सामने रहेगा। लेकिन यहाँ भारत में तो चुनाव अगले साल किसी भी समय हो सकते हैं पर यहाँ भी चुनावी घमासान जारी है। यहाँ भी मुद्दों की भरमार है। जनता त्रस्त है अपनी समस्याओं से। लेकिन यहाँ के सियासतदानों ने भी जनता के असली मुद्दों से भटक कर एक खास मुद्दा चुनना बेहतर समझा है। और यही वजह है कि अभी से सभी के निशाने पर और जुबान पर मोदी ही मोदी हैं। हैरत बाली बात यहाँ भी यही है कि जहाँ वर्त्तमान सत्ता पक्ष के लोगों को मोदी नाम पर सौ फीसदी भरोसा है तो वहीँ विरोध की हवा बनानेवाले मोदी की आलोचना कर जनता के मन में अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं। कहने का आशय यह की चुनाव कोई भी जीते या हारे पर नाम होगा मोदी का ही।
हलाकि अभी यहाँ के चुनाव में काफी समय है लेकिन पाकिस्तान में मोदी नाम से मिले रिटर्न-गिफ्ट के बाद भारत के चुनाव में भी मोदी नाम की अहमियत समझ में आ जाएगी। अगर भाजपा फिर आती है तो समझिये मोदी नाम भाजपा के लिए बीज मन्त्र है और अगर विपक्ष को सफलता मिलती है तो जाहिर है उनके लिए मोदी नाम का स्वाहा मूल मन्त्र हो गया। अलबत्ता किसी भी सूरत में मोदी का नाम सफलता की चाबी होगी,चाहे वो पाकिस्तान हो या हिन्दुस्तान।