जनाधार बढ़ाने,विपक्ष पर हावी होने और राजद में खास भूमिका पाने का रास्ता होगा यह क्या ?
चाय पार्टी के बाद तेजप्रताप ने अपने चुनाव क्षेत्र में सत्तू पार्टी का आयोजन किया और इस दौरान उसने कई ऐसी हरकतें भी की जिसका अंदाजा भी था। हरबार तेजप्रताप कोई न कोई ड्रामा कर खुद को सुर्ख़ियों में बनाये रखना चाहते हैं। यही बात कमोबेश पिता लालू यादव में भी है। जब तेजप्रताप इससे पहली बार महुआ गए थे तो वहां भी जनता के बीच एक ड्रामा सा किया था और अपनी ही पार्टी के नेताओं के नाम भड़ास उतारी थी जिसमे अपनी माँ राबड़ी को भी दोषी ठहराया था। इसके बाद सियासत में हड़कंप और मीडिया में तेजप्रताप के नाम की सुर्खिया बन गयी थी।
अब इस बार जब तेजप्रताप महुआ गए तो सभा तो किया ही,नितीश कुमार और भाजपा पर बरसे भी, जो लाजिमी था। आखिरकार विपक्ष को कोसकर ही तो जनता को अपने पाले में करते लेकिन ऐसा बहुत ज्यादा नहीं हुआ। विपक्ष की खामियों को गिनाने के बजाय तेज क्षणिक देर के लिए और सुर्ख़ियों में छाने के लिए रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। ऐसा करते देख स्थानीय लोगो का हुजूम पीछे-पीछे चलने लगा। यही तो तेजस्वी चाहते थे। इतना ही नहीं अचानक ही अपनी गाड़ी छोड़ तेजप्रताप नीचे उतर गए और अपने कपडे उतार एक हैंड पंप से पानी चलाकर नहाने लगे। तर्क ये कि वो भी एक आम आदमी ही हैं।
सही है कि तेजप्रताप आम आदमी की तरह हैं,पर वो आम आदमी की तरह जीते हैं क्या? उनका रहन-सहन,चलने का साधन,खान-पान आम आदमी सा है क्या?ए सी घर और कार,हाई-ग्रेड रेस्त्रां,एक्सक्लूसिव कपडे और न जाने क्या-क्या?इन सबका क्या जबाब देंगे तेजप्रताप?
वास्तव में इस तरह की कारस्तानी तेजप्रताप की अपरिपक्वता की निशानी भर है। और यही वजह है कि इनसे गंभीर और परिपक्व मानसिकता वाला छोटा भाई तेजस्वी को लालू प्रसाद ने महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौपी,वरना तेजप्रताप को पार्टी और सियासत की स्टीयरिंग सौंपी होती तो शायद दृश्य कुछ और होता, कब का कोई न कोई सियासी दुर्घटना को अंजाम दे चुके होते।
तेजप्रताप को सोचना होगा,उसके जो भी सलाहकार इस तरह की सलाह देते होंगे तो उन्हें ये भी सनझना जरुरी होगा कि यदि ऐसे ही वो नाटक करते रहे तो सचमुच ही गंभीर सियासत से उनका नाता टूट सकता है और यही आधार भी होगा तेजप्रताप के बजाय तेजस्वी को पूरी आजादी के साथ कुंजी थमाने का।