सदी का महानायक,गीतों का जादूगर छोड़ गया इस जग को।
आज अचानक एक खबर सुनने को मिली तो लगा एक सख्श ने काफी पहले कहा था “बस यही अपराध मै हर बार करता हूँ ,….. ” अभी तक ये समझ नहीं आया था कि कौन सा अपराध बार-बार होता है? लेकिन आज की खबर ने ये साबित कर दिया सचमुच कविवर नीरज ने आज एक बड़ा अपराध कर दिया। अपराध हम सबका साथ छोड़कर,अपराध इस दुनिया से विदा ले लेने का। जी हाँ आज गोपालदास सक्सेना नीरज का देहावसान हो गया।
विश्वास नहीं होता कि आज एक युग का अंत कैसे हो गया? एक जिंदादिल इंसान कैसे मौन होकर शय्या पर अंतर्ध्यान हो गया है?हमें तो अभी भी लगता है नीरज कुछ गा रहे हैं।पर अब हक़ीक़त को स्वीकारने के सिवा बचा ही क्या है? बस उनके बुने शब्द और उनकी रचनाएँ।
पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित प्रख्यात गीतकार गोपाल दास नीरज की मंगलवार सुबह तबीयत बिगड़ गई। आगरा में वो अपनी बेटी कुंदनिका शर्मा के घर आए हुए थे। सुबह नाश्ते के बाद सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें कमला नगर के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां गोपाल दास को जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर रखा गया। देर शाम सात बजे उनकी तबीयत में सुधार हुआ। लेकिन इसके बाद इनकी तबीयत फिर बिगड़ गयी उसके बाद इन्हे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान लाया गया जहाँ इनका इलाज चल रहा था लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ती चली गयी और आज वो हमारे बीच नहीं रहे। 4 जनवरी 1925 को इटावा के पुरावली गांव में जन्मे गोपाल दास नीरज फिलहाल अलीगढ़ के मैरिस रोड जनकपुरी में रहते थे। वो अलीगढ़ के धर्म समाज इंटर कॉलेज में प्रवक्ता भी रहे हैं।
तीन बार मिला फिल्म फेयर अवार्ड ले चुके नीरज मेरठ कॉलेज मेरठ में भी हिंदी का शिक्षण कार्य किया। इससे पहले कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्क का काम किया। उन्हें 1970,1971,1972 में फिल्म फेयर अवार्ड मिले। 1991 में भारत सरकार ने पद्म श्री से अलंकृत किया तो 1994 में यूपी सरकार ने यशभारती से। इसके बाद 1994 में उन्हें पद्म भूषण दिया गया। पिछली सपा सरकार में उन्हें भाषा संस्थान का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया था। उनकी काव्य पुस्तकों में दर्द दिया है, आसावरी, बादलों से सलाम लेता हूँ,गीत जो गाए नहीं,नीरज की पाती,नीरज दोहावली,गीत-अगीत,कारवां गुजर गया,पुष्प पारिजात के,काव्यांजलि,नीरज संचयन,नीरज के संग-कविता के सात रंग,बादर बरस गयो,मुक्तकी,दो गीत,नदी किनारे,लहर पुकारे, प्राण-गीत, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये,वंशीवट सूना है और नीरज की गीतिकाएँ शामिल हैं। गोपाल दास नीरज ने कई प्रसिद्ध फ़िल्मों के गीतों की रचना भी की।
‘पहचान’ फिल्म के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और मेरा नाम जोकर’ के ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया। ‘कारवां गुजर गया गुबार देखता रहा ‘को कौन भूल सकता है? उनके एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
बॉलीवुड से लेकर सारे साहित्यजगत में अचानक मातम सा छI गया है, देश ग़मगीन है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। नीरज हमारे बीच रहे ना रहें उनकी यादें,उनके बोल सदा गूंजते रहेंगे।