नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े घोटाले में शामिल 2जी स्कैम ने यूपीए सरकार का सत्ता से बाहर कर दिया। 1 लाख 76 हजार करोड़ करोड़ के इस घोटाले ने मनमोहन सरकार की नींव हिला कर रख दी। इस घोटाले न केवल देश में मनमोहन सरकार की किरकिरी करवाई बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया, लेकिन इतना सब होने के बावजूद सीबीआई कोर्ट के फैसले ने इस घोटाले के अस्तित्व पर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
2010 में भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने 2008 में आवंटित किए गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाते हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी की बजाए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति पर लाइसेंस बांटे जाने पर सवाल उठाया और इस महाघोटाले का पर्दाफाश किया। इस घोटाले में बड़े -बड़े नाम शामिल हो गए। मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और कनिमोड़ी समेत 17 अभियुक्तों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन 7 साल के इतंजार के बाद सीबीआई की विषेय़ अदालत ने 1 लाख 76 हजार करोड़ के इस घोटाले में एक लाइन में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इन 17 अभियुक्तों में 14 व्यक्ति और तीन कंपनियां (रिलायंस टेलिकॉम, स्वान टेलिकॉम, यूनिटेक) शामिल थीं। सीबीआई ने इन लोगों के ख़िलाफ़ धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात और धारा 120बी के तहत आपराधिक षडयंत्र के आरोप लगाए गए थे लेकिन अदालत को कोई सबूत नहीं मिला है और कोर्ट से सभी को बरी कर दिया। इस मामले में सबके बरी होने के बाद सब एक ही सवाल जहन में उठ रहा है कि सबसे “भ्रष्ट” सरकार में जो जेल गए वो सबसे “ईमानदार” सरकार में बरी हो गए । वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने इस मामले में आरोपियों को बरी किए जाने पर आपना रोष जताते हुए फेसबुक पर लिखा है ” हमारे लोकतंत्र में बुनियादी खोट है , जब तक पार्टियों की सरकारें बनती रहेंगी सब घोटालों पर पर्दा पड़ता रहेगा . सरकार जनता की बननी चाहिए जो हम अब तक सत्तर सालों में नहीं कर पाए हैं . करेंगे हम तो भरेगा कौन . जय लोकतंत्र , जय मोदी, जय राहुल , जय राजा , जय कनिमोझी , जय अदालत, जय तोता , पराजय तो बस हमारी है। ” वरिष्ठ पत्रकार ने बड़ा सवाल उठाया है, जिसका जवाब शायद हममें से किसी के पास नहीं है….