नई दिल्ली। डॉक्टर को भगवान के बाद का दर्जा दिया जाता है। भगवान इंसान को जीवन देते हैं और ये इंसानी भगवान इस जीवन के सुरक्षित रखने में हमारी मदद करते हैं। लेकिन ये इंसानी भगवान अब देवता नहीं बल्कि दानव बन गए हैं। इन इंसानी देवताओं पर लक्ष्मी का प्रभाव इतना भावी हो गया है कि ये अपने कर्त्व्य को भूलकर सिर्फ धन अर्जन में लग गए है। अस्पताल के नाम पर फाइव स्टार होटल खोल लिए गए हैं। इन फाइव स्टार होटलों में घंटों के हिसाब से आप पर चार्ज किया जाता है। इतना ही नहीं यहां जिंदा इंसानों के साथ-साथ मुर्दों पर भी स्टे चार्ज लगाया जाता है।
ये इंसानी भग वान नोट गिनने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वो जिंदा बच्ची को भी मृत बताकर अपना चार्ज वसूलते हैं और चलते बनते हैं। उन्हें आपकी जिंदगी से, आपकी ममता से, अपनों के लिए प्रेम से कोई मतलब नहीं है। ये तथाकथित अस्पताल और डॉक्टर सिर्फ नोट गिनने की मशीन बन चुके हैं। मैक्स अस्पताल के बाद ताजा मामला नोएडा के सेक्ट र 62 स्थित फोर्टिस अस्पताल का है, जहां चंद घंटों के इलाज के लिए मरीज के परिजनों को चेढ़ लाख का बिल थमाया गया है।
मेरठ के सिकरोड़ निवासी जोगिंदर सिंह ने अप नी 21 साल की बेटी श्वेता को 20 नवंबर को नोएडा के सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराने आए थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस बड़े अस्पातल में उनकी बेटी ठीक हो जाएगी। डॉक्टरों ने इमरजेंसी में उसे एक इंजेक्शन दिया और सीधे आईसीयू में भर्ती कर लिया। रातभर डॉक्टर यही कहते रहे कि तबियत में सुधार है, लेकिन सुबह करीब 5 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया।
बेटी तो चली गई साथ ही साथ परिजनों को 4 घंटे के इलाज के लिए 1.03 लाख रुपए का बिल सौंपा गया। बिना बिल भरे उन्हें शव नहीं दिया गया। जब तक उन्होंने अस्पातल का बिल नहीं भरा उन्हें मृत बेटी का मुंह तक नहीं देखने दिया गया। अब परिजनों ने अस्पातल के खिलाफ केस दरप्ज करवाया है।