विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान का सम्मान करने और सशक्त करने के उद्देश्य से हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस पर जब महिलाओं को सम्मान दिया जाता है, तो बेहद ख़ुशी और गर्व की अनुभूति होती है। महिलाओं के सशक्तिकरण का समर्थन करने वाले खुले दिल से इस दिन का समर्थन करते हैं।
लेकिन आज मैं इस दिन को लेकर कुछ ज्यादा खुश नहीं हूँ। मेरे मन में थोड़ी निराशा है। आज जब मैंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास को खंगालने की कोशिश की, तो मुझे ज्ञात हुआ कि दुनिया सन 1900 की शुरुआत से इस दिन को मनाया जा रहा है। इसका मतलब पिछली लगभग एक शताब्दी से महिलाओं को सशक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं, और हम आज भी कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि हमें यह कब तक करना होगा? स्थिति बहुत कुछ बदली नहीं है। हर क्षेत्र में महिलाओं से भेदभाव बदस्तूर जारी है।
हम ‘अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस’ तो इतने जोरो-शोरो से नहीं मनाते, क्योकि हमें इसकी जरुरत ही नहीं लगती। लेकिन सभी जानते हैं कि महिलाओं को अभी भी इस दिन की जरुरत है। यानि एक तरह से महिला दिवस मनाने का यही अर्थ हुआ कि महिलाएं अब भी पुरुषों के बराबर नही हैं, और इसलिए मुझे लगता है कि हमें बस अब इस दिन को इस तरह मनाने की जरुरत ही हो, महिला और पुरुष में कोई अंतर ही ना हो।