बेबाक और निर्भीक पत्रकार अरनब गोस्वामी ने टाइम्स नाउ से इस्तीफा देकर जब अपने वेंचर की शुरुआत की तो उसका नाम रिपब्लिक रखा। जब उनको चैनल का लाइसेंस मिल गया तो बीजेपी के सीनियर लीडर सुबह्मण्यम स्वामी ने उस नाम पर आपत्ति जताई और ‘द एंबलम्स ऐंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इंप्रॉपर यूज) ऐक्ट 1950 का हवाला देकर नाम को सरकार से वापस लेने और न लेने की हालत में कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी। अरनब गोस्वामी अपने वेंचर की शुरआत में किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने खुद ही सरकार से अनुरोध किया कि रिपब्लिक का नाम बदलकर रिपब्लिक टीवी कर दिया जाए। ये तो थी बात मीडिया की अब जानिए इसी मसले पर बात सरकार की।
पांच महीने और तीन महीने पहले के एक वाकये का जिक्र करते हुए सरकार पेटीएम और रिलायंस जियो इन्फोकॉम को नोटिस जारी करके पूछा है कि उन्होंने अपने विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें इस्तेमाल करने से पहले इजाजत ली थी या नहीं।खाद्य एवं आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को लिखा है कि मीडिया को ‘द एंबलम्स ऐंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इंप्रॉपर यूज) ऐक्ट 1950 के तहत प्रतीकों और नामों के कमर्शल इस्तेमाल के लिए पूर्व अनुमति लेने के बारे में बताए।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा है कि इन कंपनियों पर आने वाले हफ्तों में इस संबंध में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जैसा कि आप सबको याद होगा पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो ने फुलपेज विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर इस्तेमाल की थी। बाद में इस मामले में एक पीआईएल भी डाली गई थी। इसके बाद 8 नवंबर को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, पेटीएम ने इस फैसले का स्वागत करते हुए लोगों ने डिजिटल वॉलिट सर्विस इस्तेमाल करने की अपील करते हुए एक विज्ञापन दिया था। इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री की तस्वीर इस्तेमाल की गई थी।
कानून के जानकारों का मानना है कि ‘निश्चित तौर पर निजी कंपनियां या संस्थाएं वगैरह ऑफिशल एंबलम्स और इनसिग्निया को पिना परमिशन लिए इस्तेमाल नहीं कर सकतीं। यह हैरानी की बात है कि सरकार कई महीनों के बाद जाग रही है।’ मीडिया सरकार ने इस सिलसिले में अपना विरोध दोनों घटनाओं के वक्त जाहिर किया था।
आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि 1950 का ऐक्ट क्या कहता है- ‘केंद्र सरकार द्वारा रखी शर्तों से हटकर किसी भी नाम या एंबलम को बिना केंद्र सरकार की इजाजत या ऑथराइज्ड अधिकारी से अनुमति लिए बिना किसी भी ट्रेड, बिजनस या प्रफेशन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’ हर छोटे-बड़े मसले में नुक्ताचीनी करने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुबह्मण्यम स्वामी को अरनब गोस्वामी के वेंचर पर सवाल खड़ा करते हुए कानून का पूरा ज्ञान था लेकिन प्रधानमंत्री की तस्वीर छापने के मामले में पढ़ाई भूल गए लगता है।
जनवरी में सरकार ने उस समय नाखुशी जताई थी, जब प्रधानमंत्री की तस्वीर को खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने अपने कैलंडर में इस्तेमाल किया था। एक अधिकारी ने बताया, ‘नोटिस भेजने की बात इसलिए शुरू हुई क्योंकि लग रहा है कि अब इसका इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही होने लगा है। हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘पीएम भी एक आम आदमी की तरह अधिकार रखते हैं कि बिना इजाजत उन्हें किसी भी ब्रैंड का प्रचार करते हुए नहीं दिखाया जा सकता।’