सिनेमा के पर्दे पर आमिर खान के दंगल की धूम है तो राजनीति में पर्दे के भीतर के खेल में समाजवादी दंगल धूम मचाए हुए है। नए साल का आगाज हो चुका है और उत्तर प्रदेश के सियासी दंगल में अब नए दांव देखने को मिलेंगे। पिताजी की खड़ी की गई पार्टी पर नेताजी से ज्यादा भरोसा पार्टी के कार्यकर्ताओँ ने मुख्यमंत्री बेटे पर की। जनभावना और दल पर अपनी मजबूत पकड़ दिखाकर पिछले साल के आखिरी दिन अखिलेश यादव ने पहली बाजी जीत ली।
आज नए साल के पहले दिन पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया है। यह आपातकालीन अधिवेशन है। संभावना है इसमें पार्टी के कुछ लोगों के पर कतरे जाएं और कुछ की जिम्मेदारियां बढ़ा दी जाए। चर्चा है कि राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव आज संसदीय कमेटी की बैठक भी बुला लें।
इस बीच आज अहले सुबह प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने सुप्रीमो मुलायम के घर हाजिरी लगाई है। सूत्रों के मुताबिक यहां पर शिवपाल और मुलायम के बीच राष्ट्रीय अधिवेशन पर चर्चा हुई। बार बार अकेले में मिलकर शिवपाल भाई मुलायम सिंह यादव पर कोई न कोई नैतिक दबाव बनाना चाहते हैं। एक तरफ जहां शिवपाल किसी अनहोनी की आशंका में मुलायम सिंह की घेरेबंदी कर रहे हैं वहीं आज अखिलेश यादव ने चाचा रामगोपाल के जरिए आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर पार्टी पर अपनी पकड़ एक बार फिर साबित करने का मन बना लिया है।
मुलायम सिंह यादव ने जब बेटे अखिलेश और भाई रामगोपाल को पार्टी से निष्काषित किया था तब इस अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया था। दोपहर में जब अखिलेश और रामगोपाल फिर से पार्टी में वापस बुला लिए गए तब इस अधिवेशन पर कोई चर्चा नहीं हुई और अब यह अधिवेशन एक तरह से केवल शक्ति प्रदर्शन के लिए है।
सबसे अहम बात ये है कि आज के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए लगाए गए पोस्टर से शिवपाल की फोटो नदारद हैं। वहीं, मुलायम कुनबे की लड़ाई की असली वजह माने जा रहे अमर सिंह का कहना है कि अगर उनकी वजह से कलह हो रही है तो वो बलिदान के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक खबर है कि अमर सिंह को बाहर किया जा सकता है और चुनाव तक पार्टी की सारी कमान अखिलेश यादव के हाथों में दी जा सकती है। मुस्लिम वोटों को देखते हुए आजम खान को भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।