5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सभी पार्टियों ने एक दूसरे को घेरने की कवायद शुरु कर दी है। चुनाव आयोग ने जैसे ही तारीखों का ऐलान किया वैसे ही विपक्ष ने १ फरवरी को पेश होने वाले बजट पर सवाल पैदा कर दिए। चुनाव आयोग ने कल कहा था कि चुनाव आचार संहिता लगने के बाद सरकारें किसी तरह की घोषणाएं नहीं कर पाएँगी, और तारीखों के ऐलान के वक्त से ही चुनाव आचार संहिता लागू हो जाता है। विपक्ष आम बजट को चुनाव बाद पेश करने की मांग कर रहा है।
केंद्र सरकार ने बजट को लेकर इस बार खास तैयारी कर रखी है। इस साल से रेल बजट अलग से पेश नहीं होगा औऱ यह आम बजट का हिस्सा होगा। दूसरा सरकार ने पहले ही तय किया है कि इस साल से बजट फरवरी के आखिर में पेश करने की बजाय १ फरवरी को पेश किया जाए ताकि नए वित्त-वर्ष की व्यवस्था को समय रहते लागू किया जा सके। सरकार ने बजट की तारीखें टालने की किसी भी संभावना से साफ इनकार कर दिया है।
विपक्ष के साथ केंद्र में सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी समर्थन दिया है। आम बजट को टलवाने के लिए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, जेडीयू, आरएलडी के नेता चुनाव आयोग पहुंचे। इन सभी विपक्षी पार्टियों को आशंका है कि सरकार लोक-लुभावन बजट पेश कर वोटर्स को प्रभावित कर सकती है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में ज्ञापन सौंपा, बाद में आजाद ने कहा, ‘हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि 1 फरवरी को बजट पेश करने से रोका जाए। सरकार 31 जनवरी से संसद सत्र बुलाए हमें कोई ऐतराज नहीं है लेकिन बजट हर हाल में चुनाव के बाद ही पेश होना चाहिए। आजाद ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने उनकी बात को ध्यान से सुना और विचार करने का भरोसा भी दिया। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बजट को चुनाव से पहले पेश किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। चुनाव आयोग की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।