चेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और एआईडीएमके की प्रमुख जयललिता का निधन हो गया। 5 दिसंबर 2016 को रात 11 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने अपोलो अस्पताल में अंतिम सांसे ली। अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। 68 साल की उम्र में ही अम्मा ने हमारा साथ छोड़ दिया। उनके समर्थक उन्हें भगवान की तरह पूजते थे। लेकिन अब अम्मा हमेशा-हमेशा के लिए हमें छोड़कर जा चुकी है। आइए डालें अम्मा के जीवन पर एक नजर….
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 में एक अय्यर परिवार में कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम जयललिता जयराम है। वो 2 साल की ही थी, उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद उन्हें गरीबी में जीना पड़ा।
घर चलाने के लिए जयललिता की मां ने तमिल सिनेमा में ‘संध्या’ के नाम से काम किया, लेकिन वो अपनी बेटी जयललिता को इससे दूर रखना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने बेटी को चेन्नई भेज दिया।
मां के आदेश को मानते हुए वो चेन्नई चली गईं और वहां खूब मन लगाकर पढ़ाई की। उन्हें पढ़ने के अलावा संगीत और नृत्य का भी शौक था। देखने में बला की खबसूरत जयललिता पर जब एक फिल्म निर्देशक की नजर पड़ी तो उन्होंने उन्हें फिल्म में अभिनेत्री का रोल ऑफर कर दिया। मां ने बेटी के लिए ये ऑफर स्वीकर कर दिया। महज 15 साल की उम्र में जयललिता ने ‘एपिसल’ नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया।
फिल्म में उनके काम की खूब तारीफें हुई। देखते-देखते ही वो तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और हिंदी फिल्मों की पॉपलुर अभिनेत्री बन गईं। इसी दौरान उनकी मुलाकात सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन से हुईं। दोनों के बीच की नजदीकियों की वजह से जयललिता का नाम काफी उछला। जयललिता उन्हें पसंद करते थीं, लेकिन चूंकि रामचंद्रन शादी-शुदा और दो बच्चों के पिता थे, इसलिए उन्होंने शादी से इंकार कर दिया।
जयललिता ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत भी एमजी रामचंद्रन के साथ ही की। साल 1984 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। साल 1984 से 1989 के दौरान उन्होंने तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। साल 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद उन्होने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर लिया, हालांकि उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार उन्होंने लोगों को अपनी बात मानने पर मजबूर कर दिया। 24 जून 1991 को उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और सबसे युवा मुख्यमंत्री का खिताब हासिल किया। साल 1996 तक वो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। इसी दौरान लोगें ने उन्हें ‘अम्मा’ नाम दे दिया। अपने जीवनकाल में वो तीसरी बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। उन्हें खाने और संगीत का विशेष शौक था। वो घुड़सवारी की भी शौकीन थी।