बीजिंग। 17 अक्टूबर। आतंकवाद के मुद्दे पर चीन दोहरा चरित्र दिखा रहा है। एक तरफ वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई की भी बात करता है, दूसरी तरफ़ इस मुद्दे पर पाकिस्तान और वहां के आतंकवादी संगठनों का वह लगातार बचाव भी कर रहा है।
ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की जननी’ करार दिया था, लेेकिन इसके एक दिन बाद चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने साफ़ तौर पर कहा कि उनका देश किसी भी देश को आतंकवाद के साथ जोड़े जाने के विरुद्ध है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि ‘हम सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करते हैं और हम मानते हैं कि सभी देशों के स्थायित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित प्रयास की जरूरत है।’ लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि भारत और पाकिस्तान ‘सभी आतंकवाद के पीड़ित’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘जहां तक भारत और पाकिस्तान के बीच समस्या की बात है, तो दोनों ही देश चीन के करीबी पड़ोसी हैं। हम आशा करते हैं कि वे वार्ता और चर्चा के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से इन मतभेदों को सुलझाएंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध विकसित हो। इससे दोनों देशों और क्षेत्र के हितों की पूर्ति होगी।’
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में बड़ा बलिदान दिया है और इसे अंतरराष्ट्रीय जमात द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।
इससे पहले चीन ने न सिर्फ़ संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद के मौलाना मसूद अजहर को आतंकवादी मानने से इनकार कर दिया था, बल्कि गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ बयान में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का नाम शामिल नहीं होने दिया।