जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रदेश के चालीस अधिकािरयों को माहौल बिगाड़ने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया है। प्रदेश 26 साल बाद इस किस्म का फैसला लिया गया है। इससे पहले 1990 में पांच कर्मचारियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हुई थी। संख्या के मामले में यह फैसला काफी बड़ा है।
सरकार के इस कड़े फैसले को मीडिया में कोई खास तवज्जो नहीं मिली लेकिन यह चौंकाने वाली घटना और सख्त फैसला है। सरकार ने अपने तीन दर्जन से अधिक कर्मचारियों को ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ में लिप्त होने तथा घाटी में जारी अशांति को बढ़ावा देने के लिए बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्तगी के बाद कर्मचारियों के समूह ने आंदोलन की धमकी दी है। एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि कर्मचारियों की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर रिपोर्ट राज्य पुलिस ने तैयार की, जिसे मुख्य सचिव के पास भेजा गया। उन्होंने संबंधित विभागों के प्रमुखों से इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने को कहा।
बर्खास्त कर्मियों में कश्मीर विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार के अलावा शिक्षा, राजस्व, सार्वजनिक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के संविधान के अनुच्छेद 126 के तहत यह कार्रवाई की। ये लोग प्रदर्शनों में जाकर लोगों को माहौल बिगाड़ने के लिए उकसाते थे। ड्यूटी पर न जाकर हर रोज अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शनों में भाग लेते थे। साथ ही पथराव में भी शामिल होते थे।