जरा गौर से सोचिए, कैसे महज रिश्वत ने हंसते खेलते परिवार का सर्वनाश कर दिया… पहले पत्नी और बेटी ने खुदकुशी की और अब खुद और बेटे ने फंदे से झूलकर अपनी जान दे दी… सच क्या है राम जाने, लेकिन अगर यह रिश्वत का सच है तो कितना घातक है और अगर रिश्वत लेने का आरोप साबित नहीं हुआ तब कौन गुनहगार होगा? …फिर तो कुछ ज्यादा ही घातक है… ये कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के पूर्व डीजी बीके बंसल की कहानी है। हम सब जानते हैं कि हम यहां से लेकर कुछ नहीं जाएंगे और छोड़ जाएंगे तो सिर्फ अपने कर्म । बावजूद इसके पैसे की भूख, शोहरत की भूख और न जाने कौन कौन सी भूख इंसानों से ऐसे ऐसे कर्म कराती है कि उसके जीवन का औचित्य ही बदल जाता है।
आत्महत्या की खबरें अक्सर हमारे अखबारों, टेलीविजन चैनलों के किसी कोने में दब जाती हैं, बड़ी खबर तब बनती है जब किसी सेलिब्रिटी ने अपनी जीवनलीला समाप्त की हो या फिर मीडिया उसको तवज्जो देना चाहता हो। निस्संदेह आत्महत्या किसी भी परिवार, व्यक्ति या समाज के लिए निहायत ही दिल दहलाने वाला हादसा है। लेकिन इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि देखते ही देखते पूरा परिवार एक एक कर आत्महत्या कर ले। वो भी तब, जब वो न तो किसी बेरोजगारी की मार झेल रहा हो, न उसकी जमीन पर लहलहाती फसलें बरबाद हुई हों। पढ़ा-लिखा, काबिल और ऊंचे ओहदे पर अपना जीवन बिताने वाले का पूरा परिवार इस दलदल में फंस जाए तो चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे का स्याह सच सामने आता है और इसके पीछे भागने वाली प्रवृत्ति पर सवाल खड़े होते हैं।
करप्शन का आरोप झेल रहे पूर्व ब्यूरोक्रेट बीके बंसल ने मंगलवार को बेटे के साथ सुसाइड कर लिया। जानकारी के मुताबिक, दोनों की बॉडी मधु विहार में उनके घर में मिली। सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। अगस्त में बंसल जमानत पर रिहा हुए थे। जब उनकी गिरफ्तारी हुई थी, तो पत्नी सत्यबाला और बेटी नेहा ने भी सुसाइड कर लिया था। बंसल की गिरफ्तारी के बाद उनके पूरे परिवार को समाज की नजरों में गिर जाने का डर सताने लगा। जाहिर है पद, प्रतिष्ठा और पैसे की वजह से बंसल परिवार की समाज में एक अलग पहचान और धाक रही होगी। उस इज्जत को गंवाकर जीने की बजाए उनकी पत्नी और बेटी ने मर जाना बेहतर समझा। सवाल वहीं खड़े हुए कि सारी जिंदगी जिस खुशी की चाह में बंसल जो कमाई करते रहे (रिश्वत के आरोप साबित होते हैं तो) उसका क्या लाभ मिला? और जब वो कमाई कर रहे थे तब उनके शिक्षित परिवार ने यह अंदाजा नहीं लगाया होगा कि उनकी शानो-शौकत में खर्च होने वाला पैसा कहां से आता है। पहले दिन अगर परिवार के किसी सदस्य ने इस पर ऐतराज जताया होता तो शायद यह वक्त नहीं आता।
सीबीआई का दावा है कि उसने बंसल को 16 जुलाई को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए अरेस्ट किया था। उन्हें दिल्ली के एक होटल में फार्मा कंपनी का फेवर करने के लिए घूस लेते हुए सीबीआई ने अरेस्ट किया था। जिस वक्त बंसल को अरेस्ट किया गया, वे एक फार्मा कंपनी के ब्रोकर से घूस ले रहे थे। बंसल कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री में एडिशनल सेक्रेटरी लेवल के अफसर थे।