पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक अभिरंजन कुमार ने आतंकवाद और आतंकवदियों को आड़े हाथों लेते हुए एक खुला पत्र लिखा । यह पत्र देश के दुर्भाग्य में से एक जाकिर नाइक को संबोधित करते हुए लिखा गया। इस लेख में अभिरंजन कुमार ने जाकिर से जन्नत की हूरों के मुतल्लिक ३५ सवाल पूछे। सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हुई और देश के तमाम डिजिटल प्लेटफार्म्स पर यह प्रकाशित किया गया। इस्लाम की गलत व्याख्या करके हूरों को महज भोगने की वस्तु मानने पर कड़ा प्रहार था। यह धर्म के चंद ठेकेदारों की मंशाओं पर सवाल था। लेख में इस्लाम घर्म की गलत व्याख्या करने को लेकर सवाल थे लेकिन कुछ धर्म के ठेकेदारों ने इसे इस्लाम को बदनाम करने वाला लेख करार दिया और कहा कि इस लेख के जरिए इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की जा रही है । हमने विभिन्न वेबसाइट्स पर उस लेख पर दी गई प्रतिक्रियाएं पढ़ीं। उन कमेंट्स को देखकर और पढ़कर हम आज कुछ लिखने पर मजबूर हुए।
निस्संदेह आज देश एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है लेकिन पूरी दुनिया जबरदस्त उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। हिंदुस्तान के सूडो सेक्यूलरिस्ट आतंकवादी बुरहान वानी के समर्थन में आवाज उठाते हैं। देशद्रोही और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले जेएनयू में शान से रहते हैं और आठवीं-दसवीं फेल नेताओँ के संरक्षण में पटना तक पाकिस्तान के चाहने वाले सड़क मार्च करते हैं। पीस टीवी के माध्यम से एक शैतान जाकिर नाइक नफरत फैलाता है और उसके पक्षकार सोशल मीडिया से लेकर टेलीविजन की चर्चाओँ में ताल ठोकते हैं, पूरे रमजान के महीने में दुनिया में भर ५०० लोगों की हत्याएं होती हैं , ईद की पिछली शाम और अगली सुबह इंसानियत के दुश्मन नंगा नाच करते हैं, बांग्ला देश में अपने बच्चों की ही जान लेते हैं। देश का जश्न मना रहे फ्रांस की सड़कों एक आतंकी ट्रक से सैकड़ों लोगों को कुचल देता है तकरीबन सौ मौत की नींद सो जाते हैं। और आप फिर कहते हैं कि आतंकवाद को धर्म से मत जोड़ो… मेरे अजीज दोस्त बताएं कि ऐसा करने वाले लोग कौन हैं।
फ्रांस की सड़कों पर मौत के तांडव के बाद राष्ट्र प्रमुख ने दो टूक कहा कि उनका देश इस्लामिक आतंकवाद का दंश झेल रहा है। दुनिया भर से एक आवाज उनके खिलाफ आपने सुनी है क्या हमने नहीं सुनीं। हमारे देश में जाकिर नाइक जैसे नफरत के सौदागरों से सवाल पूछने पर गालियां दी जाती हैं, आतंकवादी बुरहान वानी के समर्थन करने वालों का विरोध करने पर गालियां दी जाती हैं। देश के टुकड़े करने की मंशा पालने वाले छात्रों के विरोध पर आपपर सवाल खड़े किए जाते हैं …. फ्रांस्वा ओलांद साब हम हिंदुस्तान में ऐसे आतंकवाद से जूझ रहे हैं। पूरी दुनिया में यह आतंकवादी हत्याएं करते हैं, बम बरसाते हैं हमारे यहां तो साथ चलते हैं ….. गालियां देते हैं …..एक अफजल मारोगे घर-घर से अफजल निकलेगा का नारा लगाते हैं… पीठ में छुरा भोंकते हैं…. पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हैं ….. गला रेतते हैं और फ्रीज में गाय का मांस रखते हैं. .. आतंकवादियों याकूब मेमन और बुरहान के जनाजे में शामिल होते हैं … जाकिर नाइक से सवाल पूछने पर गालियां देते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं। दरअसल यह है आतंकवाद… या यू कहें इस्लामिक आतंकवाद । और ऐसे लोग जो इनका साथ दे रहे हैं वो कर रहे हैं धर्म का नाश ।