नई दिल्ली। बॉलीवुड की मशहूर अदाकार मीना कुमारी फिल्मों में भले अपने दमदार किरदार के लिए जानी जाती हो, लेकिन उनका निजी जीवन दुखों से भरा था। मीना जन्म से लेकर अपने जीवन के आखिरी घड़ी तक दुखों और मायूसी के साथ रही। उनके जीवन में अकेलापन था, जो उनकी मौत की वजह बन गया। आज मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती है। महजबीन बेगम के नाम से साथ 1 अगस्त 1932 को जन्मी मीना को पिता ने जन्म के सात ही अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। पिता के पास इतने पैसे तक न हीं थे कि वो अस्पताल का बिल भर सके। पहले से दो बेटियां थीं, ऐसे में माता-पिता ने फैसला किया कि महजबीन को किसी मुस्लिम अनाथ आश्रम में छोड़ देंगे।
मां इकबाल बेगम और पिता अली बक्श ने किया भी वैसा ही। दोनों ने अपनी तीसरी संतान महजबीन को मुस्लिम अनाथ आश्रम के सामने छोड़ दिया, लेकिन उनका मन नहीं माना और कुछ ही घंटों में वो उसे वापस घर ले जाए।
मीना कुमारी के पिता एक पारसी थिएटर में हार्मोनियम बजाते थे और मां डांसर थीं। पहले से ही घर में नाच-गाने का मौहाल था। पिता आर्थिक रूप से तंग थे जो उन्होंने मीना को पढ़ाने- लिखाने के बजाए 7 साल की उम्र में ही फिल्मी दुनिया में धकेल दिया। मीना कुमारी ने इंकार किया तो जबरदस्ती उसे फिल्मों में काम करने के लिए प्रताड़ित किया गया। वो पढ़ना चाहती थी, लेकिन पिता के पास उनसे फिल्मों में काम करवाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
7 साल की उम्र से ही मीना फिल्मों में काम करने लगी और महजबीन से बेबी मीना बन गई। मीना कुमारी की पहली फिल्म ‘फरजंद-ए-वतन’ नाम से 1939 में रिलीज हुई। बड़ी होने के बाद उनकी पहली फिल्म जिसमें वीर घटोत्कच से करियर की शुरुआत की। हिरोईन के रूप में उन्होंने ‘बैजू बावरा’ से पहचान बनाई और एक के बाद एक फिल्म करती चली गई। ‘परिणीता’, ‘आजाद’, ‘एक ही रास्ता’, ‘मिस मैरी’, ‘शारदा’, ‘कोहिनूर’ और ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ में उन्होने काम किया। लेकिन उन्हें पहचान ‘साहेब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू की भूमिका से मिली। इस किरदार के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला।
उन्होंने फिल्म निर्माता कमाल अमरोही से शादी की, लेकिन ये शादी टिक नहीं पाई और उनका तलाक हो गया। तलाक के बाद उन्हें शराब की लत लग गई और शराब की वजह से 1968 में मीना कुमारी को लंदन और स्विटजरलैंड ले जाना पड़ा। उन्होंने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किए। दर्शकों का उनका सैड रोल बेहद पसंद आया। फिर उन्हें उसी चरह के रोल मिलने लगे। इसी वजह से लोग उन्हें ट्रेजडी क्वीन के नाम से जानने लगे। फिल्मों में वो हिट हो रही थी, लेकिन निजी जीवन में वो बेहद अकेली थी। इसी अकेलेपन की वजह से वो फिर से शराब में डूब गई और 31 मार्च 1972 को लीवर सिरोसिस के कारण उनकी मौत हो गई। फिल्मी दुनिया में इतना नाम कमाने के बाद मीना कुमारी अपनी मौत से पहले एक बार फिर उसी हालात में पहुंच गई थीं, जिन तंगहाली के हालात में उनके जन्म के समय उनके माता-पिता थे। कहा जाता है कि जब मीना कुमारी की एक नर्सिंग होम में मृत्यु हुई तो अस्पताल का बिल चुकाने तक के पैसे नहीं थे।