पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शीर्ष अदालत ने राजनैतिक दलों को एक जोर का झटका दिया है। धर्म के नाम पर वोट मांगने वालों पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है चुनाव में धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। हिंदुत्व मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला आया है।
सुप्रीम कोर्ट में हिंदुत्व से जुड़े कई मामलों की सुनवाई हो रही थी, अदालत ने इन सभी मामलों की सुनवाई के लिए सात जजों की बेंच बनाई और इस सात जजों की संवैधानिक पीठ ने आज कहा कि धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट नहीं मांगा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि चुनाव धर्मनिरपेक्ष अभ्यास है और यह इसी तरीके से होना चाहिए, हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और उसकी इस प्रकृति को अक्षुण्ण बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है। अदालत ने साफ कहा कि कोई उम्मीदवार या दल वोट के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में 4 जज इस फैसले पर अपनी सहमति जता रहे थे जबकि तीन इसके विरोध में थे। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के आधार पर अपने फैसले में कहा कि धर्म के आधार पर वोट देने की कोई भी अपील चुनावी कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है
आपको बता दें कि चुनाव आयोग के मुताबिक भी धर्म के नाम पर चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता है। आयोग ने पहले ही इसे लेकर नियम तय किया हुआ है लेकिन फिर भी ऐसा होता है क्योंकि इस पर अबतक कानून साफ नहीं था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी परिभाषा स्पष्ट कर दी। आने वाले दिनों में राजनैतिक पार्टियों को इसका नुकसान जरुर देखने को मिलेगा।