नई दिल्ली। नोटबंदी की मार के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अपने मौद्रिक समीक्षा पॉलिसी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में कटौती कर उन्हें थोड़ी राहत दे सकती है। ब्याज दरें घटाकर उनपर कर्ज का बोझ कम कर सकती है, लेकिन लोगों की इस उम्मीदों पर पानी फिर गया। आरबीआई ने अपनी दूसरी मौद्रिक समीक्षा बैठक में आम आदमी को कोई राहत नहीं दी बल्कि नई टेंशन दे दी।
नोटबंदी के बाद देश में फिर से कैश संकट, 45 फीसदी ATM हैं खाली
नहीं मिली राहत
आरबीआई ने रेपो रेट 6.25 फीसदी पर स्थिर रखा। नगद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा कि बैंकों में ब्याज दरें कम करने के लिए अभी भी गुंजाइश बरकरार है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
मिल सकता है बड़ी झटका
जहां आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई कटौती न कर आम आदमी पर कर्ज के बोझ को ज्यों का त्यों बरकरार रखा तो वहीं नोटबंदी के बाद बड़ा झटका देने की आशंका जता दी है। माना जा रहा है कि जो इतने सालों में नहीं हुआ वो अब हो सकता है। पहली बार सेविंग अकाउंट में ब्याज दरों को घ टाया जा सकता है। जी हां देश के बैंकिंग इतिहास में पहली बार सेविंग्स अकाउंट्स पर आरबीआई ब्याज दर घटा सकती है। देश के दो बड़े सरकारी बैंकों ने इस ओर इशारा किया है। सइसके पीछे कारण बताया कि नोटबंदी की वजह से बैंकों में पैसे की भरमार होने के मद्देनजर ब्याज दर घटाने का फैसला लिया जा सकता है।