तमिलनाडु की सीएम जयललिता को रविवार को कार्डियक अरेस्ट होने की ख़बर आई, जिसके बाद लोग कहने लगे कि उन्हें हार्ट अटैक पड़ा है। लेकिन क्या आपको पता है कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों में बहुत अंतर है। अगर सही समय पर उपचार न मिलने पर कार्डियक अरेस्ट ज़्यादा खतरनाक साबित हो है।
अगर आपको दोनों का अंतर जानना है तो हम बता रहे हैं आपको…
हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन, जब शरीर की धमनी में अचानक रुकावट पैदा हो जाता है तब हार्ट अटैक होता है। जब धमनियों से हमारे दिल की पेशियों तक खून पहुंचना बंद हो जाता है, तो वे निष्क्रिय हो जाती हैं। यानी दिल का दौरा पड़ने पर दिल के भीतर के कुछ हिस्से काम करना बंद कर देते हैं। धमनियों में आए रुकावट को दूर करने के लिए कई तरह के इलाज किए जाते हैं, जिनमें एंजियोप्लास्टी, स्टंटिंग और सर्जरी शामिल हैं। इन उपचारों के द्वारा दिल तक नियमित रूप से खून पहुंचने की कोशिश की जाती है।
वहीं कार्डियक अरेस्ट होने के दौरान दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो जाता है। आम भाषा में कहें तो इसमें दिल के भातर विभिन्न हिस्सों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं हो पता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है। स्थिति पूरी तरह बिगड़ने पर दिल की धड़कन रुक जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए रोगियों को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी उसके दिल की धड़कन को सामान्य किया जा सके। रोगी को ‘डिफाइब्रिलेटर’ के द्वारा बिजली का झटका के कर दिल की धड़कन को नियमित होने में मदद की जाती है।
वैसे, दिल की बीमारी से ग्रसित रोगियों को कार्डियक अरेस्ट होने की आशंका ज़्यादा होती है। जिन लोगों को पहले हार्ट अटैक हो चुका हो, उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है। अगर किसी के परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास रहा है, तो भी उन्हें सावधान रहना चाहिए।
cardiac arrest