अन्ना ने अब खुलकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की नीतियों का विरोध किया है। जिन अन्ना हजारे के कंधों पर सवार होकर अरविंद केजरीवाल सत्ता के इस मुकाम तक पहुंचे हैं उन्हीं अन्ना का अरविंद को विरोध यह दर्शाता है कि अरविंद केजरीवाल और उऩकी पार्टी अपनी नीतियों और सिद्धांतों से किस कदर समझौता कर चुकी है।
भ्रष्टाचार के विरोध में अभियान चलाने वाले अन्ना हजारे ने दानदाताओं की सूची सार्वजनिक करने का अपना वादा पूरा नहीं करने पर आम आदमी पार्टी की कड़ी आलोचना की। हजारे ने ऐसे समय में इस पार्टी और अरविंद की आलोचना की है वे कांग्रेस और बीजेपी से उनके धनस्रोत को लेकर सवाल कर रही है।
केजरीवाल को 23 दिसंबर को भेजे पत्र में अन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर प्रहार किया। अन्ना ने कहा कि अगर व्यवस्था में परिवर्तन लाना है तो नेतृत्व को कथनी एवं करनी में फर्क नहीं रखना चाहिए। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम छेड़ने वाले हजारे ने कहा कि देश एवं समाज की बेहतरी के लिए मैंने महाराष्ट्र में लोगों से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को एकतरफ रख दिया और बिना किसी स्वार्थ के आपको समय दिया और देश के लिए बड़ा सपना देखा। लेकिन मेरा सपना बिखर गया। उन्होंने पार्टी के निलंबित सदस्य अमेरिका में कार्यरत डॉक्टर मुनीष रायजादा के इस पत्र का हवाला दिया कि पार्टी के दानदाताओं के रिकॉर्ड जून, 2016 से उसकी वेबसाइट से गायब हो गए हैं। रायजादा ने आज राजघाट पर ‘चंदा बंद सत्याग्रह’ भी शुरू किया।
अन्रा हजारे ने कहा कि आपने कई वादे किए जिनमें ‘आप’ को मिलने चंदे को पार्टी की वेबसाइट पर डालना शामिल है। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव, जिसके पक्ष में हम थे, की चर्चा फीकी पड़ रही है और राजनीति एवं धन महत्वूपर्ण होते जा रहे हैं। विनम्रता की भावना भी जा रही है। उन्होंने कहा कि अन्यथा, आपने अपनी वेबसाइट से उन लोगों के नाम नहीं हटाए होते, जिन्होंने मुश्किल दौर में पार्टी को चंदा दिया। हजारे ने पार्टी के कामकाज को लेकर भी नाखुशी प्रकट की। उन्होंने कहा कि अन्य दल लोगों से चंदे स्वार्थ के लिए लेते हैं जबकि लोग आपको बदलाव लाने के लिए चंदा देते हैं।
उन्होंने पत्र में लिखा है आपने ग्राम स्वराज पर एक पुस्तक लिखी। जिस तरह चीजें हो रही हैं… क्या यह ग्राम स्वराज का मार्ग है? यह प्रश्न मेरे सामने खड़ा है। आपकी पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों के बीच क्या फर्क रह गया है? उन्होंने कहा कि आपने मुझसे और लोगों से बदलाव का वादा किया था। मुझे पीड़ा होती है क्योंकि वादा पूरा नहीं किया गया। आपने मुझसे एवं लोगों से कई ऐसे वादे किए।
पार्टी के गठन और सत्ता में आने के बाद से एक एक कर आम आदमी पार्टी और इनके चेहरों से नकाब उतर रहा है। मीडिया सरकार ने सबसे पहले आज से तीन साल पहले नवंबर २०१३ में इनकी हकीकत से देश को अवगत कराया था। अब इनके अभिभावक अन्ना हजारे को भी लगने लगा है कि यह देश के लिए नहीं बल्कि अपने लिए सोचते हैं। अन्ना के इस पत्र से यह साफ हो गया है कि तीन साल पहले जब मीडिया सरकार ने यह दिखाया था कि अलग तरीके की पार्टी बनाने का दावा करने वाले और देश की राजनीति बदलने का दम भरने वाले दरअसल कितने खोखले लोग हैं तब मीडिया सरकार ने इनकी असलियत भांप ली थी।