भगवान भी क्या क्या दिन दिखाते हैं, या अब इसको ऐसे कहें कि भगवान को भी क्या क्या दिन देखने पड़ रहे हैं। नोटबंदी का असर भगवान के दरबार पर भी पड़ने लगा है। एक तरफ जहां पूरा देश नोटबंदी के बाद कतार में खड़ा है वहीं भगवान के दर पर भी अब नोटों की कमी होने लगी है। देश के तमाम बड़े मंदिरों में लाखों-करोड़ों रुपए रोजाना चढ़ावे के तौर पर आते रहे हैँ। जब से सरकार ने बड़े नोट बंद करने का फरमान सुनाया, मंदिरों में चढ़ावे की रकम गिरने लगी। अब मंदिर के कर्ता-धर्ता दूसरे रास्ते अख्तियार करने की जुगत में लग गए हैँ।
नोटबंदी की मार से बेहाल जनता जब अपनी मन की कुछ फरियाद लिए भगवान के दर पर जाती होगी तो वहां उसके मन में बड़े नोट नहीं चढ़ा पाने की कसक रह जाती होगी। दिल्ली के प्रसिद्ध कालका जी मंदिर ने भक्तों को भगवान के करीब बनाए रखने के लिए कुछ नया रास्ता निकाल लिया है। शादी-ब्याह में शगुन डिजिटल मनी के तौर पर देने की वित्त मंत्री अरुण जेटली की सलाह पर अमल करते हुए इस मंदिर ने भक्तों के लिए यह व्यस्था कर दी है।
कालकाजी के दरबार में दान दक्षिणा, चढ़ावा या फिर शगुन लेने के लिए मंदिर के पुजारियों ने पेटीएम का सहारा लिया है। मंदिर के अंदर दानपेटी पर भी पेटीएम उपलब्ध है। लेकिन सिर्फ भारतीय श्रद्धालुओं के लिए ही। गैर भारतीय श्रद्धालुओं को फिलहाल इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण उन्हें भगवान को चढ़ावा(दान) चढ़ाने के लिए मन-मसोस कर रह जाना पड़ रहा है।