मत कीजिए समाज का सर्जिकल ऑपरेशन
भारत-पाकिस्तान का सर्जिकल काल चल रहा है। अंदर-बाहर सर्जरी चल रही है। इधर से पाकिस्तान के कलाकारों को पाकिस्तान भेज दिया गया, तो पाकिस्तान में भारत में बने सामान खासतौर पर महिलाओं के लिए राजस्थानी सूट और तमाम गारमेंट्स का बहिष्कार हो रहा है। ताजा सर्जरी में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी को रामलीला में मारीच का किरदार करने से रोक दिया गया है। पाकिस्तानियों की सर्जरी के बाद अब मुसलमानों की सर्जरी चल रही है। उधर, दादरी के बिसाहड़ा में रवि की लाश लाश तिरंगे में लपेटकर आई है, जैसे किसी शहीद सैनिक का शव आता है, ठीक वैसे ही। रवि कौन था, बता दें कि वो गोमांस खाने के आरोपी इखलाक की हत्या का आरोपी था। वही इखलाक, साल भर पहले जिसकी हत्या के बाद सम्मान वापसी की करतूत शुरू हुई थी तो सेक्युलरिज्म के नाम पर अब तक फायदा लूटने वाले बोटीचोरों के लिए दादरी, उनके दादाजी की मजार हो गई थी। कट्टरपंथी हिंदू संगठनों के लिए भी इखलाक कांड शौर्य का प्रतीक बन गया था। एक बार फिर बिसाहड़ा सुलग रहा है। हिंदुत्ववादी संगठन धरना देकर बैठे हुए हैं। अब रवि की मौत का एक करोड़ रुपये मुआवजा मांगा जा रहा है। उसकी मौत पर सोशल मीडिया में कई मुसलमानों ने हर्ष व्यक्त किया, तो कई हिंदुओं ने उसे शहीद बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
उधर, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बीजेपी के पोस्टर और बैनर टंग गए हैं। मोदी जी ने ही सर्जिकल ऑपरेशन किया है। शत-शत नमन। पहली बार घर में घुसकर मारा है। सेना का कहीं कोई जिक्र नहीं, सैनिकों के बलिदान का कोई जिक्र नहीं। होना भी नहीं था। सर्जिकल स्ट्राइक ने दिल और दिमाग पर ऐसी स्ट्राइक की है, कि बाकी कुछ याद नहीं। खबरदार कुछ कहना भी मत।
न्यूज रूम में एक टर्म का हम लोग अक्सर इस्तेमाल करते हैं-एजेंडा सेट करना। यानी किसी बड़ी खबर पर किस चैनल ने किस तरह लीड ले लिया। यानी उसने एजेंडा सेट कर दिया। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एजेंडा सेट कर दिया है। याद होगा कि 2014 में चुनाव प्रचार में मोदी मनमोहन को कमजोर कप्तान कहकर कोसते थे। कहते थे-लव लेटर लिखना बंद कीजिए। उरी में आतंकी हमला हुआ तो सोशल मीडिया पर मोदी की पुरानी बातें छा गईं। मोदी ने जवाब केरल की सभा में दिया, भाषण संतुलित दिया, लेकिन ये भी बोले- ‘उरी के 19 जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे’। इसके कुछ दिन बाद ही सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था। मोदी ने एजेंडा सेट कर दिया था। जिस एजेंडे में साबित हो गया कि यूपीए सरकार के दौरान कमजोर कप्तान था। मजबूत कप्तान ने पाकिस्तान को औकात दिखा दी। सोशल मीडिया पर जिन्हें मोदीभक्त कह कहकर दूसरा पक्ष चिढ़ा रहा था, अब उन भक्तों की बारी थी। सोशल मीडिया पर उनका कब्जा हो गया।
सियासी पार्टियों को जब तक मोदी का एजेंडा समझ में आता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कहते हैं कि राजा नहीं, राजा का प्रताप लड़ता है। मोदी के प्रताप का प्रताप है। ऐसा एजेंडा सेट है कि जो भी कहो, नाम सिर्फ मोदी का होगा, फायदा सिर्फ मोदी के खाते में जाएगा। मोदी मतलब देश, देश मतलब मोदी। मोदी मतलब बीजेपी और बीजेपी मतलब मोदी। समीकरण साफ है। 18 सितंबर के उरी हमले और 28 सितंबर की रात सर्जिकल स्ट्राइक के इन दस दिनों बाद फसल लहलहा उठी, जिसे पंजाब और यूपी में काटने के लिए बीजेपी की हंसिया उठ चुकी है। इसी बीच कांग्रेस को होश आया, लगे गिनाने कि हमने भी सर्जिकल स्ट्राइक किए थे, लेकिन ढिंढोरा नहीं पीटा था। नक्कारखाने में तूती की आवाज..। सुनी नहीं गई। संजय निरुपम आए, सवाल उठाया-ये सर्जिकल नहीं फर्जिकल था। मोदी ने एजेंडा ही ऐसा सेट किया था कि सरकार पर सवाल मतलब देश पर सवाल। सवाल देश की आन का था, कांग्रेस ने संजय निरुपम के बयान से किनारा कर लिया। इधर अरविंद केजरीवाल को लगा कि पंजाब में तो उनकी पार्टी का ही सर्जिकल स्ट्राइक हो जाएगा। पहले सैल्यूट, फिर सबूत वो भी पाकिस्तान को दिखाने की बात। केजरी बाबू मुंह की खा गए। सियासत सिखाने का दम भर रहे थे, यहां गच्चा खा गए। उनसे उनकी वल्दियत के सबूत मांगे जाने लगे। अभी राहुल गांधी भी खून की दलाली का भारी भरकम बयान देकर फंस चुके हैं। एजेंडा ऐसा सेट है कि बीजेपी और सरकार के सामने सेना है। सरकार और बीजेपी को कुछ कहना, मतलब सेना को कहना, देश को कहना।
मैंने इधर पाकिस्तानी न्यूज चैनल देखे। जैसा इधर है, वैसा ही उधर है। इधर भी लड़ लेंगे, उधर भी लड़ लेंगे। ये तेरी फौज, ये मेरी फौज। ये भी बता दें कि पाकिस्तान में मीडिया कितनी आजाद है, बहुत लोगों को अंदाजा भी नहीं होगा। सरकार के खिलाफ वहां का मीडिया अरसे से मोर्चेबंदी करता रहा है। तमाम चैनल और अखबार सरकार के आगे झुके नहीं। वहां के चैनलों में कई बार भारत की रणनीति और मोदी की जमकर तारीफ हुई है। लेकिन वो सब 18 सितंबर के पहले की बातें हैं। अब वहां भी भारत के लिए सिर्फ जंगी माहौल है, लानतें हैं, गालियां हैं।
पाकिस्तान गर्त में जाता हुआ देश है। अमीर-गरीब की खाई वहां बहुत गहरी है। 80 फीसदी जनता गरीबी में बसर कर रही है। सरकार तो उन्हें मजहब और भारत से लड़ने का अफीम पिलाकर बरसों से पाल रही है, लेकिन भारत के लोगों की आंखें खुली हुई हैं। तो फिर इस देश को क्यों कुछ लोग पाकिस्तान बनाना चाहते हैं। लड़ाई भारत और पाकिस्तान में है, इसे हिंदू-मुसलमान की तरफ कौन ले जा रहा है या ले जाना चाहता है। कौन ऐसा चश्मा पहनाना चाह रहा है, जिसके पीछे से हर मुसलमान आतंकवादी या पाकिस्तान परस्त नजर आए। माहौल वैसा नहीं है, जैसा बनाया जा रहा है।
इस बार पंद्रह अगस्त को मुसलमानों ने मदरसों में खूब तिरंगे लहराए। उरी हमले के बाद देश भर में मुसलमानों ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किए, उसके पीछे सिर्फ देश से जुड़ी उनकी भावनाएं ही नही थीं, उन्हें लगा कि देशभक्ति के सबूत के लिए उन्हें ऐसा करना ही पड़ेगा। हमारे ही कुछ कट्टर साथी कहते हैं कि ज्यादातर मुसलमान दिल से पाकिस्तान के साथ हैं। मैं कहता हूं कि पाकिस्तान के साथ नहीं, कुछ-कुछ पाकिस्तान में बसे मुसलमानों के साथ हो सकते हैं। उसी तरह जैसे यहां के हिंदू, पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के बारे में चिंतित रहते हैं। हां ये भी सच है कि हिंदू हों या मुसलमान दोनों समुदायों में कमीनों की कोई कमी नहीं है। दोनों तरफ एक से बढ़कर एक हैं। यहीं सोशल मीडिया पर ही दिखता रहता है। दोनों तरफ के पढ़े लिखे लोग अपने मजहब के लोगों को भड़काते और बहकाते रहते हैं।
ये देश बहुधर्मी, बहुसंस्कृति का रहा है। इतना अच्छा देश, इतनी आजादी दुनिया में कहीं नहीं है। ये देश भी यूं ही चलेगा, राजनीति भी अपनी रफ्तार से चलेगी, लेकिन प्यार-मुहब्बत की इस सरजमीं पर नफरत की फसल ठीक नहीं है। सीमा पर गोली चल रही है, भारत-पाकिस्तान एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। भारत में नवरात्र चल रहे हैं, पाकिस्तान से आए ड्राइफ्रूट और सेंधा नमक घर-घर में खाया जा रहा है। आयात-निर्यात इनका भी चल रहा है, नफरतों का भी चल रहा है। रास्ता बस मुहब्बतों का रोका जा रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और वर्तमान में आजतक चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं)