मंगलौर। नोटबंदी के कारण सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, ख़ास लोग भी परेशान हैं। कम से कम केंद्रीय सांख्यिकी मंत्री सदानंद गौड़ा के साथ एक अस्पताल में जो हुआ, उससे तो यही लगता है। दरअसल, बीती रात सदानंद गौड़ा के भाई का मंगलौर के एक अस्पताल में निधन हो गया, जिसके बाद वे वहां उनका शव लेने पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल ने बकाये के भुगतान के रूप में पुराने नोट स्वीकार करने से मना कर दिया, जिसके बाद गौड़ा को गुस्सा भी आ गया। लेकिन अस्पताल जब अपनी बात पर अड़ा रहा, तो उन्होने चेक के माध्यम से भुगतान किया और इसके बाद ही वे भाई का शव ले जा सके।
जब अस्पताल प्रशासन ने गौड़ा से पुराने नोट लेने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने उससे यह बात लिखित में देने को कहा। इसपर अस्पताल ने लिखित जवाब देकर बताया कि नियमों के मुताबिक सरकारी अस्पताल पुराने नोट कबूल करने को बाध्य हैं, प्राइवेट अस्पताल नहीं। बहरहाल, इस घटना से साफ़ है कि प्राइवेट अस्पतालों में जब एक केंद्रीय मंत्री के साथ ऐसा सलूक किया जा सकता है, तो आम लोगों के साथ कैसा सलूक किया जाता होगा।