पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में जाने-माने स्कूल ने तुगलकी फरमान की वजह से सूर्खियों में आ गया है। स्कूल ने छात्राओं के लिए फरमानों की लंबी लिस्ट जारी कर दी। छात्राओं के इनरवियर से लेकर टॉयलेट जाने तक को लेकर नियम बना दिए गए। नियम तोड़ने वालों के लिए 500 रुपए का जुर्माना लगाया गया। स्कूल ने फरमानों की लिस्ट के साथ-साथ अभिभावकों के पास एफिडेविट साइन कराने के लिए भेज दिया, जिसमें नियमों के उल्लधंन पर कानूनी सजा का प्रावधान है। स्कूल की सोच हैं कि उन्होंने पिछली घटनाओं से सबक लेकर ये फरमान जारी किया है,लेकिन फरमानों की लिस्ट देखने के बाद स्कूल की असली सोच मालूम होती है।
स्कूल ने छात्राओं के इनरवियर को लेकर जारी किया फरमान
निजी स्कूल ‘एमआईटी विश्वशांति गुरुकुल स्कूल’ ने विचित्र दिशा-निर्देशों में कहा कि स्कूल में लड़कियों को विशेष रंग के इनरवियर पहनने होंगे। गुरुकुल के स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को व्हाइट और स्कीन रंग के इनरवियर पहनने का निर्देश दिया। मेडकिल स्थिति और इमरजेंसी के अलावा स्कूल के टॉयलेट्स एक निश्चित समय पर इस्तेमाल कर सकेंगी। स्कूल छात्रों से 500 रुपये का जुर्माना वसूलेगा अगर छात्र पीने का पानी और बिजली अनावश्यक रूप से इस्तेमाल करते पाए गए। इसके अलावा 500 रुपये का जुर्माना तब भी लिया जाएगा अगर सेनेटरी पैड्स को सही तरह से उसके लिए तय डब्बे में नहीं डाले गए। बच्चों द्वारा गिराए गए खाने के कारण गंदगी हुई तो भी जुर्माना देना होगा। छात्राओं की स्कर्ट की लंबाई घुटनों तक ही होनी चाहिए और वह प्रबंधन द्वारा अधिकृत टेलर से ही कपड़े सिलवाने होगे। छात्राएं किसी भी तरह का मेकअप नहीं करेंगी छात्र-छात्रा कोई टैटू नहीं बनवाएंगे। बाल एकदम छोटे रहेंगे। ईयरिंग के साइज भी स्कूल द्वारा निर्धारित नियम के अनुसार होना चाहिए।
अभिभावकों में आक्रोश, जांच के आदेश
स्कूल के अजीबो-गरीब फरमान सुनाए जाने के बादअभिभावकों ने स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्कूल के सामने अभिभावकों की भारी भीड़ जमा हो गई। अभिभावकों ने प्राथमिक शिक्षा विभाग के सह निदेशक दिनकर टेमकर से मुलाकात कर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अभिभावकों के आक्रोश के बाद शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दे दिए। मामला बिगड़ा देख स्कूल नें भी आदेश वापस ले लिया।
सवाल
सवाल ये कि क्या ये आजाद भारत की तस्वीर हैं। जहां लड़कियों को अपनी मर्जी से न कपड़े पहने की आजादी हैं न बाहर जाने की। क्या निजी स्कूल अनुशासन के नाम पर पाबंदियों को जन्म दे रहे हैं। निजी स्कूली की मनमानी को रोकने में सरकार बिल्कुल असफल हो रही हैं। सरकार ने निजी स्कूलों की फीस पर रोक लगा पा रही हैं न उनके कानून पर। क्या भारत में निजी स्कूलों के भीतर प्रबंधन अपना कानून लगाएगा? क्या निजता का अधिकार स्कूल प्रांगण के भीतर लागू नहीं होगा।