नागपुर। महाराष्ट्र टुडे कॉन्क्लेव में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर जमकर मंथन हुआ, हालांकि इसमें शामिल कई बड़े नेता, वक्ता और अर्थशास्त्री कई पहलुओं को लेकर इस फैसले से सहमत नज़र नहीं आए। कॉन्क्लेव की शुरुआत में वरिष्ठ पत्रकार एसएन विनोद ने मेहमानों का स्वगात किया, जबकि जयदीय हार्दिकर ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कॉन्क्लेव में ज़्यादातर वक्ताओं ने नोटबंदी के फैसले को जल्दबाजी में उठाया हुआ कदम बताया और इसे लागू करने में सरकार की अदूरदर्शिता को रेखांकित किया। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री जयंत पाटिल, शिवसेना के वरिष्ठ नेता नीलम गोरे, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष, कांग्रेस नेता संजय निरुपम, जाने-माने अर्थशास्त्री श्रीनिवास खंडेलवाल ने मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़ा किया। दूसरी तरफ, भाजपा नेता और महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंतीवार सरकार का बचाव करते नजर आए। उन्होंने नोटबंदी को कालाधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने का हथियार बताया।
सोमवार को महाराष्ट्र टुडे कॉन्क्लेव में काफी भीड़ रही। वक्ताओं से लेकर श्रोताओं ने नोटबंदी पर इस चर्चा में हिस्सा लिया। शिवसेना नेता नीलम गोरे ने पहले तो नोटबंदी का समर्थन किया, लेकिन इसे लागू करने के तरीके और रोज़ाना आ रहे नए-नए निर्देशों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला तो सही है, लेकिन उसकी प्लानिंग सही नहीं हो पाई। बिना प्लानिंग के इसे लागू करना गलत था, जिसकी वजह से आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं आप नेता आशुतोष मोदी सरकार पर जमकर बरसे। आशुतोष ने नोटबंदी पर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्होंने देश को बर्बाद कर दिया। उन्होंने कहा कि कोई इमोशनल होकर देश नहीं चला सकता। सरकार के इस फैसले से लोगों की जानें गईं हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वो बताए कि अब तक कितने करोड़ का काला धन जलाया गया है।
वहीं संजय निरुपम ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया और कहा कि सरकार नोटबंदी को प्लानिंग के साथ लागू नहीं कर पाई, जिसकी वजह से लोगों को तकलीफें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के जरिए कालाधन रोकना, फेक करेंसी खत्म करने की बातें अब फ्लॉप हो गई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से कतार में खड़े लोगों ने जानें गंवाई। छोटे कारोबारियों का काम बंद हो गया और मजदूरों को अपने गांव लौटना पड़ा है।
महाराष्ट्र के पूर्व वित्तमंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि नोटबंदी का फैसला तब सही होता, जब उसकी प्लानिंग सही से की जाती। उन्होंने कहा कि एनसीपी पहली पार्टी थी, जिसने नोटबंदी का स्वागत किया था, लेकिन लोगों की तकलीफों को देखने के बाद हमें लगा कि सरकार का फैसला सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कि हर रोज नए फैसले आ जाते है। ऐसे में एक दिन फैसला आएगा और 2000 का नोट भी बंद हो जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंतीवार ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले पहले की सरकारों ने भी किए थे, लेकिन तब किसी ने हाय-तौबा नहीं मचाई, तो अब क्यों लोग हंगामा कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसा फैसला दिया कि लोगों को अपना कालाधन बैंक में जमा करना पड़ा है।
वहीं अर्थशास्त्री श्रीनिवास खंडेलवाल ने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद कई फैक्ट्रियां बंद हो गई। मजदूर बेरोजगार हो गए। आम जनता परेशान है और कैश के लिए परेशान है। नोटबदी की वजह से बेरोजगारी बढ़ी है।