देश की शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर सोमवार को रामजन्म भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की। इस बात सिर्फ सुनवाई भूमि के मालिकाना हक को लेकर की गई। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की तीन जजों की बेंच ने मामले पर पहली बार सुनवाई शुरू की, लेकिन महज चंद मिनटों के बीतर ही मामले को अगले 3 महीने के लिए टाल दिया गया और मामले की सुनवाई की तारीख बढ़ दी गई। मामला जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया गया। तारीख दर तारीख जानें इस मामले के लिए कब सुनवाई होगी और कब फैसला आएगा। देश की जनता इस मामले का जल्द हल निकलने की आस लगाए बैठी है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने इस विषय पर कानून बनाने की भी मांग की है।अयोध्या का राम जन्मभूमि विवाद पिछले 69 सालों से लंबित है। अयोध्या मामले को सुलझाने के लिए जानें कब-कब कोशिशें की गई पर अभी तक किसी भी तरह की सफलता नहीं मिली है।भारतीय राजनीति की धुरी बन चुकी राम मंदिर विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत जनवरी, 2019 में सुनवाई करेगी।
आइए देखते हैं इस मामले को सुलझाने के लिए कब कब सरकार के द्वारा प्रयास किए गए।
1853 में जब मस्जिद का निर्माण हुआ तो मंदिर को नष्ट कर दिया गया था और बड़े पैमाने पर उसमे बदलाव किये गए।
1859 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा विवादित भूमि पर मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी थी।
1885 में यह मामला पहली बार अदालत में पहुंचा।
23 दिसंबर 1949 में हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रखी और उसकी नियमित रूप से पूजा करने लगे जिसकी वजह से मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
6 जनवरी 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में रामलला की पूजा-अर्चना की एक अपील दायर की।
18 दिसंबर 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया था ।
1984में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए एक समिति का गठन किया गया।
कालचक्र में फंसा रहा विवाद
1 फरवरी 1986 में फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी।
9 नवंबर 1989में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
25 सितंबर 1990 में बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए और आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
6 दिसंबर 1992 में हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद की तोड़-फोड़ की
जनवरी 2002में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया।
अप्रैल 2002 में अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू हुई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, लेकिन नहीं हुई सहमति
- मार्च-अगस्त 2003 में इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की और उन्हें मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने का प्रमाण मिला ।
- जुलाई 2009 में लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- 30 सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
- 21 मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
- 19 अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।
- 20 जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर रामजन्म भूमि का फैसला सुरक्षित रखा गया।