नई दिल्ली। ‘स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन’ के स्लोगन के साथ 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण इलाके की महिलाओं के लिए “प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना” की शुरूआत की। योजना का मकसद धुंआरहित ग्रामीण भारत का निर्माण करना हैं। महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे से आजादी दिलाना है। सरकार ने साल 2019 तक देश के 5 करोड़ परिवार को LPG कनेक्शन देने का वादा किया, बाद में इसे बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया है। वादे तो बहुत लंबे किए गए, लेकिन वादों की हकीकत जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पा रही है। हम पूरे देश की बात नहीं कर रहे हैं, अगर सिर्फ एक जिला के आंकड़ों को उठाकर देखें तो तस्वीर हैरान करने वाली है। अगर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के आंकड़ों को देखा जाए तो उज्ज्वला योजना की सफलता की वाहवाही लूट रही केंद्र सरकार की हकीकत सामने आ जाएगी।
कितना सफल है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
मुजफ्फरनगर में सरकार की ओर से 84365 परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत गैंस सिलेंडर कनेक्शन बांटे गए, लेकिन 33746 लाभार्थी परिवार दोबारा गैस का सिलिंडर नहीं भरवा पाए हैं। आर्थिक तंगी के चलते उन परिवारों ने गैस रिफीलिंग नहीं करवाई। हालत ये हैं कि ये परिवार दोबारा से चूल्हे पर रोटी सेंकने के लिए मजबूर हैं। यहां के 40 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जो गरीबी के कारण दोबारा गैस का रिफिल नहीं ले पाए हैं। इन घरों में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में मिला सिलिंडर और चूल्हा घर के एक कोने में शो-पीस की तरह पड़ा है। सरकार ने जिन महिलाओं को धुंए से मुक्ति का सपना दिखाया था, इन्हें दोबारा से धुएं में जीना पड़ रहा है। सरकार की इस प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में आर्थिक तंगी आडे़ आ रही है। अत्यंत गरीब परिवारों को योजना के तहत कनेक्शन दिया गया। हालांकि अधिकतर जरूरतमंद परिवार दोबारा गैस नहीं खरीद पाए। रिफिल का रेट इन परिवारों के लिए इतना महंगा है कि उसे वह वहन नहीं कर सकते।
उज्ज्वला योजना के सामने आर्थिक तंगी बड़ी परेशानी
उज्ज्वला योजना का प्रावधान है कि जिस गरीब परिवार की सदस्य महिला को मुफ्त में कनेक्शन मिलेगा। उसको चूल्हे के 990 रुपये संबंधित गैस एजेंसी में जमा कराने होंगे। अगर पैसे जमा नहीं किए गए तो गैस कनेक्शन पर ऋण लागू कर दिया जाता है। इस ऋण के तहत उनको मिलने वाली सब्सिडी में से प्रतिमाह चूल्हे की कीमत लेने के लिए 210 रुपये 66 पैसे काट लिए जाएंगे। इस योजना के तहत जब तक चूल्हे के 990 रुपए वसूल नहीं कर लिए जाएंगे, तब तक उसको सब्सिडी का पैसा नहीं मिलेगा। जबकि गैस सिलिंडर की कीमत 704 रुपये 50 पैसे है। अब जरा इस योजना पर एक नजर डाले….
क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
साल 2016 में पीएम मोदी ने इस योजना की शुरुआत की । इस योजना के तहत 3 साल के भीतर सरकार ने 5 करोड़ महिलाओं और सीधे तौर पर उनके परिवार को एलपीजी कनेक्शन से जोड़ने का लक्ष्य रखा। साल 2019 तक सरकार ने 5 करोड़ परिवारों खास तौर पर गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को रियायती एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने इसके लिए 8,000 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया। इस योजना का मुख्य मकसद ग्रामीण परिवारों को खाना पकाने के लिए जीवाशम ईंधन से होने वाली बीमारियों से बचाना है।
इस योजना ने न सिर्फ महिलाओं को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने का मकसद रखा गया बल्कि ग्रामीण इलाकों में लगातार पेड़ों की हो रही कटाई पर रोक लगाना भी है। पीएम मोदी ने इस योजना के पीछे लक्ष्य रखा कि इससे जरिए ग्रामीण इलाके में महिलाओं को चूल्हे से आजादी और धुंए से उनके स्वास्थ पर पड़ने वाले खतरनाक असर से बचाया जा सके। लेकिन इस योजना के राह में आर्थिक विवशता आड़े आ रही है।
इस योजना का लाभ पाने के लिए जरूरी शर्तें
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ पाने के लिए महिला का नाम BPL परिवार के लिस्ट में दर्ज होना चाहिए। योजना का लाभ पाने के लिए ये जरूरी है कि आपके पास पहले से कोई एलपीजी कनेक्शन न हो। इस शर्त को पूरा करने वाली महिला सदस्य के पास जरूरी दस्तावेज होने चाहिए। जैसे महिला का एक बचत खाता राष्ट्रीय बैंक में होना चाहिए।
आवेदक के नाम पर कोई एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए। आवेदक के पास बीपीएल कार्ड होना चाहिए।
पंचायत या नगर निगम द्वारा अधिकृत BPL कार्ड, राशन कार्ड, फोटो आईडी, पासपोर्ट साइज दो फोटो, राशन कार्ड की कॉपी, राजपत्रित अधिकारी (गैजेटेड अधिकारी) द्वारा सत्यापित स्व-घोषणा पत्र, आवास पंजीकरण दस्तावेज, और महिला होनी चाहिए जिसकी उम्र 18 साल से अधिक हो।