पत्रकारों पर हो रहे हमले का मामला लोकसभा में भी गूंजा। नोटबंदी की गहमागहमी के बीच भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह ने पत्रकारों पर हमलों की घटनाओं का जिक्र करते हुए हाल ही में रोहतास जिले में एक पत्रकार की हत्या का मुद्दा उठाया और उन्होंने ऐसे मामलों में मृतकों के परिजनों को एक समान मुआवजे के लिए कानून बनाने की मांग की।
पिछले कुछ दिनो में पत्रकारों पर हमले की वारदात बढ़ गई है। ऐसी घटनाएं देश के अलग अलग हिस्सों से घट रही हैं लेकिन बिहार में एक के बाद एक दो पत्रकारों की हत्या ने सबका ध्यान खींचा है। पहले सीवान में हिंदुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन और बाद में रोहतास में दैनिक भास्कर के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की हत्या माफियाओं ने कर दी। राजदेव रंजन की हत्या में जहां सीवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का नाम आया वहीं धर्मेंद्र की हत्या में इलाके के खनन माफिया और स्थानीय नेताओँ पर शक की सुई घूमी है।
सोमवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सुशील कुमार सिंह ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि बिहार में पिछले कुछ महीनों में पत्रकारों पर हमले और उनकी हत्याओं के कई मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि ‘इस तरह पत्रकारों पर और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले होते रहे तो लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रहेगा।’
उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य के रोहतास जिले में एक हिंदी दैनिक के पत्रकार की कथित रूप से हत्या कर दी गई। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक पीड़ित परिवार को कोई सहायता प्रदान नहीं की है। उन्होंने सरकार से मांग की कि मृत पत्रकार के परिवार को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए और इस तरह के मामलों में मुआवजे के लिए एक कानून लाया जाए।