नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों पर संघ का हस्तक्षेप होता है ये बात किसी से छुपी नहीं है। चाहे जीएसटी का मुद्दा हो या फिर हाल ही जम्मू कश्मीर में समर्थन वापसी का फैसला संघ हमेशा से बीजेपी के फैसलों में दखलअंदाजी करता रहा है। मीडिया में पहले भी इस बात को लेकर खबरें और रिपोर्ट छप चुकी है कि मोदी सरकार संघ के नक्शेकदम पर फैसले लेती रही है। कई बार खबरें आई कि संघ सरकार के काम से खुश नहीं है। सरकार ने भी संघ को अहमियत दी है, क्योंकि बीजेपी जानती हैं कि संघ की बैसाखी की उसे जरूरत हैं। इसलिए अहम फैसलों में संघ की दखलअंदाजी को सरकार चुपचाप सुनती है। हाल ही में इंडिया टुडे की रिपोर्ट में संघ की दखलअंदाजी को उजागर किया गया।
सरकार के फैसलों में संघ की दखलअंदाजी
इस रिपोर्ट के मुताबिक संघ मानता है कि जीएसटी को कहीं बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता था । जीएसटी के जरिए सरकार ने मध्यम वर्ग तथा छोटे व्यापारियों को नाराज किया, जिससे वो बच सकती थी, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पाई। अब ऐसे ही कुछ फैसलों की चर्चा करते हैं जिसमें सरकार में संघ की दखलअंदाजी साफ-साफ देखने को मिली। स्वदेशी जागरण मंच ने मुक्त व्यापार समझौते का पुराना प्रारूप समाप्त कराया क्योंकि उसका मानना था कि इससे भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंच रहा था।
कश्मीर की हामी से लिया कश्मीर का फैसला
संघ की दखलअंदाजी का सबसे नवीनतम मामला कश्मीर का है। 16 जून को जब प्रधानमंत्री मोदी अपने साथियों के साथ आरएसएस के आला कर्ताकर्ताओं से मिले तो बैठक में कश्मीर के हालात को लेकर चर्चा हुई। संघ ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि पीडीपी से अलग होना ही बीजेपी के लिए उचित होगा। इसी बैठक में बीजेपी और संघ नेताओं ने कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की सरकार से समर्थन वापसी का फैसला लिया। पीडीपी के साथ बीजेपी के गठबंधन का फैसला भी संघ की सहमति से लिया गया था, लेकिन कश्मीर की स्थिति से नाखुश आरएसएस बीजेपी को जनवरी से ही गठबंधन खत्म करने को कह रहा था।
एयरइंडिया को लेकर संघ की दखलअंदाजी
एयरइंडिया को लेकर संघ ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि एयरइंडिया को भारतीय कंपनी को ही बेचा जाना चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत की इस मांग को देखते हुए सरकार ने फौरन नियमों में फेरबदल कर दी। उड्डयन मंत्रालय ने शर्तें बदल दी। सरकार ने नियमों को भारतीय कंपनियों के लिए ज्यादा आकर्षक बना दिया। संघ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ-साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने नई शिक्षा नीति को लेकर टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यम कमेटी की सिफारिशों को खारिज कर दिया। संघ की इस नाराजगी को देखते हुए सरकार ने फौरन इसे रद्द कर दूसरी कमेटी बनाने का फैसला ले लिया। वहीं संघ के निर्देशों के अनुसार सरकार यूजीसी, एआइसीटीई और एनसीटीई का पुनर्गठन करके उसे एक छतरी के नीचे लाने की तैयारी कर रही है।
क्या संघ के फॉर्मूले से मिलगी 2019 की जीत
पिछले साल मई में संघ ने दखलअंदाजी कर स्वदेशी जागरण मंच ने जीवनरक्षक दवाओं और महत्वपूर्ण मेडिकल उपकरणों की कीमतों पर अंकुश लगाने वाली संस्था को ही रद्द कर दिया। संघ के फैसले का असर जीएम फूड पर भी पड़ा। स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के नैदानिक परीक्षण पर रोक लगवा दिया।
सरकार पर संघ के दवाब का असर उस वक्त देखने को मिला जब 2016 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी आईआईटी और आईआईएम को कहा कि वे संस्कृत में वैकल्पिक भाषा पाठ्यक्रम प्रदान करें। मंत्रालय के इस दवाब में . जनवरी 2018 में, आईआईटी कानपुर ने संस्कृत और हिंदू ग्रंथों से संबंधित पाठ और ऑडियो सेवाएं शुरू भी कीं। संघ ने सरकार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी बढ़ाने का दवाब बनाया। संघ के दबाव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तनख्वाह इतनी बढ़ाई जाए ताकि वे सम्मानजनक जिंदगी जी सके। वहीं श्रम सुधार के लिए संघ ने सरकार पर दवाब बनाया तो खेती और कृषि के क्षेत्र में आरएसएस ने फसल बीमा योजना और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे अहम मुद्दे सरकार के सामने रखे। माना जा रहा है कि संघ के हस्तक्षेप के बाद ही सरकार ने समर्थन मूल्यों को बढ़ाने का फैसला लिया।
ऐसा नहीं है कि केवल आंतरिक मामलों में सरकार के फैसलों पर संघ का दबाव है। सरकार के विदेश नीतियों पर भी संघ का प्रभाव दिखता है। 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित करने के अपने सुझाव को संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी दिलवाकर विश्व मंचों पर जिस तरह भारत की इज्जत बढ़ाई। पाकिस्तान के साथ भारत की नीतियों को लेकर संघ चाहता है कि इस पड़ोसी मुल्क के बारे में लंबे वक्त का एक सिद्धांत विकसित किया जाए।
वहीं संघ कुछ मुद्दों को छोड़ कर सरकार के काम से खुश है। सरकार में दखल देकर संघ अप्रत्यक्ष तौर पर केंद्र की राजनीति में शामिल हो गई है। 2016 के टारगेट को देखते हुए बीजेपी भी संघ को नाराज नहीं करना चाहते हैं। वहीं संघ सरकार के अच्छे कामों का बखान कर जनाधा र को समेटने में जुट गया है।