नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से एक शब्द बहुत चर्चा में हैं, जिसे मॉब लिंचिंग कहा जा रहा है। मॉब लिंचिंग मतलब भीड़ का इंसाफ, जिसमें भीड़ लोगों को ऑन स्पॉट फैसला सुनाती है और उसे पीट-पीट कर सजा-ए-मौत दे देती है। न पुलिस की जरूरत पड़ती है न कोर्ट की सुनवाई की। गिरफ्तारी, कार्रवाई और फैसला तीनों ही भीड़ चंद घंटों में कर देती है, लेकिन ये मॉब लिंचिंग देश के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। देश की कानून व्यवस्था और न्याय व्यवस्था खतरे में आ रही है। भीड़ शक के आधार पर लोगों की जान ले रहे हैं। इस मॉब लिंचिंग ने भारत में अब तक 30 लोगों की जान ले ली। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में भीड़ शक के आधार पर मौत बांट रही हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ये भीड़ आती कहां है। एक की मकसद के लिए लोग कहां से जमा हो जाते हैं। शक के दायरे में उन्हें लाता कौन है?
मॉब लिंचिंग का पाकिस्तान कनेक्शन
पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में दिखाया गया है कैसे एक पिता की गोद से उसके बेटे को छीन कर फरार हो जाते गैंय़ पिता के हाथ से बाइक सवार बच्चा छीनकर लेकर जाते हैं। व्हाट्सऐप पर वायरल हुए इस वीडियो के बाद भारत में नया आंतक मच गया। भीड़ का आतंक। एक अफवाह ने भीड़ को दरिंदा बना दिया। इस अफवाह की वजह से अब तक 30 लोगों की जान चली गई। अलग-अलग इलाके में 30 लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, लेकिन इस वीडियो जब सच्चाई सामने आई तो देखने वालों के होश उड़ गए। जो वीडियो भारत में वायरल हुआ वो पाकिस्तान से आया है। वीडियो ,जिसमें दो बाइक सवार एक शख्स से उसका बेटा छीनकर फरार हो जाते हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद भारत में बच्चा चोरी के आरोप में लोगों की जान ले ली गई, लेकिन जिस वीडियो को देखकर भीड़ हिंसक होकर लोगों की जान ले रही हैं उसकी सच्चाई तो ये हैं कि वो वीडियो भारत का है ही नहीं। जिस वीडियो की वजह से अफवाह फैली वो वीडियो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का है।
जागरुकता के लिए बनाए वीडियो से फैली अफवाह
जिस वीडियो की वजह से भारत में बच्चा चोरी की अफवाह फैली उस वीडियो का कनेक्शन पाकिस्तान के कराची से है। कराची स्थित रौशनी नाम के एनजीओ ने 2016 में उस वीडियो को बनाया था। वीडियो के जरिए जागरुकता फैलाने की कोशिश की गई। वीडियो का मकसद लोगों को अपने बच्चों को सुरक्षित रखने का संदेश देना था, लेकिन जिस वीडियो को जारूकता के लिए शूट किया था उसका इस्तेमाल भारत में निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए किया जा रहा है। कुछ असमाजिक तत्वों ने इस वीडियो को चतुराई से एडिट कर इसे भ्रामक बनाकर अफवाह की वजह बना दी। जिस एनजीओ ने इस वीडियो को बनाया उसे पूरा देखने पर आपको पता चल जाएगा कि इसका मकसद बच्चा चोरी को रोकना था, ना की मॉब लिंचिंग को जन्म देना। रौशनी एनजीओ और एडवरटाइंजिग एजेंसी स्पेक्ट्रम वाई एंड आर ने मिलकर ये वीडियो शूट किया था। जिसमें दिखाया गया है कि दो बाइक सवार पिता से उसका बच्चा छीनकर भाग जाते हैं। इसके बाद वीडियो के आगे के हिस्से में दिखाया ग या है कि बाइक सवार बच्चे को उसके पिता को लौटा देते हैं। इस वीडियो के आखिरी में संदेश दिखाया जाता है कि हर साल कराची में 3000 बच्चे गायब होते हैं। अपने बच्चों को सुरक्षित रखें। इस वीडियो को 6 मिलियन बार शेयर किया गया। लेकिन भारत में इस वीडियो की वजह से 30 लोगों की जान चली गई। असामाजिक तत्वों ने वीडियो को एअडिट किया। केवल उतना ही हिस्सा इस्तेमाल किया, जिसमें बाइक सवार द्वारा बच्चा छीनकर भागते दिखाया गया। वीडियो व्हाट्सएप पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने बच्चा चोरी के शक में 30 लोगों की जान ले ली। किसी ने इस वीडियो की असली सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की।
कहां से आती है ये भीड़
बड़ा सवाल है कि आखिर ये भीड़ आती कहां से है। एक ही मकसद के साथ इतने सारे लोग अचानक से कहां से जमा हो जाते हैं। इंसान को मार डालने वाली यह भीड़ हीरो बनकर उभर रही है। इस भीड़ के दो रूप देखने को मिल रहे हैं। पहला रूप भीड़ बहुसंख्यक लोकतंत्र के एक हिस्से के तौर पर दिख रहा है, जो ख़ुद ही क़ानून का काम करती है, खाने से लेकर पहनने तक सब पर इस भीड़ का नियंत्रण है।अफ़राजुल व अख़लाक़ के मामले में भीड़ का यही रूप देखने को मिला था। ये भीड़ ख़ुद ही न्याय करना और नैतिकता के दायरे तय करना चाहती है। भीड़ का दूसरा रूप बच्चा चोरी होना के अफवाह पर देखने को मिला। अपने बच्चे की चोरी का डर इस भीड़ को ताक़त देती है और लोगों की सोच को खत्म कर देती है। इस भीड़ का मकसद अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि अजनबियों और बाहरियों को सज़ा देना है।
सवाल
इस पूरे मसले में सवाल ये है कि जिस तरह से वायरल संदेशों की वजह से लोगों की जान जा रहे हैं उसके खिलाफ उसे रोक ने के लिए सरकार के पास क्या कोई प्लान है?
क्या सरकार इसे रोकने में बेबस है?
क्या सिर्फ सोशल मीडिया चलाने वाली कंपनियों के माथे पर पूरा ठीकरा फोड़कर सरकार अपना पल्ला झाड़ रही हैं?
आपके मुताबिक इस तरह के वायरल मैसेज को रोकने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए। आप अप ने विचार हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर दें।