1962 के भारत-चीन युद्ध के समय चीन का साथ देने वाली मेरी प्यारी कम्युनिस्ट पार्टियों को अपना रुख़ साफ़ करना चाहिए कि आज वे चीन के साथ खड़े होंगे या मुसलमानों के साथ? भारत में अफ़ज़ल गुरु और याकूब मेमन से लेकर वुरहान वानी और उमर ख़ालिद जैसे आतंकवादियों और अलगाववादियों तक का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन करने वाली मेरी प्यारी कम्युनिस्ट पार्टियां क्या अपने आका देश चीन में आम-बेगुनाह मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकेंगी? क्या चीन में इस तरह से मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी को कुचला जाना सही है?
अब ये मत कहिएगा कि अगर चीन में कुछ हो रहा है तो भारत की कम्युनिस्ट पार्टियां आवाज़ क्यों उठाएंगी? यह सवाल इसलिए बेमानी है कि अमेरिका में कोई खांसता-थूकता भी है, तो ये लोग पूरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ विरोध और आंदोलन में जुट जाते हैं, जैसे डोनाल्ड ट्रंप का तख्ता यहीं से पलट होने वाला है। फिर भला चीन का मामला क्यों अलहदा रहे, जहां के कम्युनिस्ट तानाशाह शी जिनपिंग संसद से यह प्रस्ताव पास करा चुके हैं कि वे जब तक चाहें, राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों को जिनपिंग से पूछना चाहिए कि क्या अल्पसंख्यकों के अधिकार कुचलने के लिए ही उन्होंने देश में वामपंथी तानाशाही सत्ता कायम की है?
बहरहाल, कम्युनिस्ट पार्टियां चाहे जो भी रुख़ तय करें, लेकिन भारत के मुसलमानों को चीन और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम-विरोधी मुल्कों के ख़िलाफ़ कठोर स्टैंड तय करना चाहिए और दुनिया भर में उन्हें एक्सपोज़ करना चाहिए। जी हां, मैं पाकिस्तान का भी नाम मुस्लिम-विरोधी देश के रूप में इसलिए ले रहा हूं, क्योंकि कट्टरपंथी इस्लाम और इसकी आड़ में फैलाए गए आतंकवाद के सहारे दुनिया के इस कलंक देश ने जब अधिकांश अल्पसंख्यकों का सफ़ाया कर दिया, तो अब वहां लिबरल मुसलमानों का सफ़ाया शुरू हो चुका है।
इस प्रसंग में, मेरे प्रियतम अभिनेताओं आमिर ख़ान और नसीरुद्दीन शाह को भी यह बताना चाहिए कि भारत में उनका कथित डर कहीं राजनीति से प्रेरित तो नहीं है? आपको बता दें कि इस्लामिक देश पाकिस्तान में हाल के कुछ ही वर्षों में बीसियों मुसलमान कलाकारों की हत्या की जा चुकी है। मशहूर सूफी गायक अमजद साबरी और पश्तो गायक वजीर खान आफरीदी की हत्याएं तो दो-चार साल पुरानी हुईं। पिछले ही साल (2018) फरवरी में अभिनेत्री और गायिका सुमबुल खान, अप्रैल में गर्भवती गायिका समीना सिंधू और अगस्त में अभिनेत्री और गायिका रेशमा समेत कई मशहूर कलाकारों की हत्या की जा चुकी है। और तो और, मशहूर पाकिस्तानी गायक अदनान सामी ने इस आतंकवादी देश की नागरिकता छोड़कर तीन बरस पहले भारत की नागरिकता ले ली थी।