राज्य सरकारों के पास भी काफी अधिकार,उन्हें भी पहल करनी होगी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था हम भीड़तंत्र को देश का कानून रौंदने की इजाजत नहीं दे सकते। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त निर्देश दिया था कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाये और इस और सख्त कदम उठाये जाये। भीड़ को किसी भी सूरत में न्याय करने का अधिकार नहीं। अब इस मामले की गंभीरता को केंद्र ने समझा है और एक पैनल बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसमे पैनल मंत्रियों के समूह को सुझाव भेजेगा, जो इन्हें प्रधानमंत्री के सामने विचार के लिए रखेगा। सरकार ने मॉब लिंचिंग के मामलों को रोकने के लिए राजनाथ की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह का गठन किया है। गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में एक पैनल का भी गठन किया गया है। राजनाथ ने कहा कि पैनल 15 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करेगा। सरकार ने ये कदम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उठाया है, जिसमें अदालत ने कहा था कि भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार कानून बनाए।
पैनल भीड़ द्वारा हिंसा और हत्याओं की घटनाओं से निपटने के लिए सुझाव देगा। इसके अलावा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कानून पर भी विचार किया जाएगा। इन सुझावों को मंत्रियों के समूहों को भेजा जाएगा, जो प्रधानमंत्री के सामने इन्हें रखेगा।
लेकिन इसके अलावा ये भी कहा है कि अधिकांश घटनाये किसी न किसी राज्य में घटित होती है ऐसे में राज्यों को भी जितने अधिकार प्राप्त हैं उसका उपयोग होना चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने बताया, देश के कई हिस्सों से हाल ही में ऐसी घटनाएं आईं हैं। सरकार ने इनकी निंदा की है। संसद में भी सरकार मोब-लिंचिंग पर अपनी स्थिति साफ कर चुकी है। इनसे निपटने के लिए कई अहम कदम भी उठाए जा रहे हैं। यह राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखें। इसके साथ ही वह अपने नागरिकों की रक्षा करें। राज्य सरकारों के पास पर्याप्त अधिकार हैं कि वे इन घटनाओं को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं।