नई दिल्ली। दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में नौकरी करने वाले यूपी-बिहार के लोग छठ के मौके पर अपने घर का रूख करते हैं। साल भर के इस त्यौहार पर घर जाने वालों की तादात लाखों में होती है, लेकिन हर साल उन्हें ट्रेन में सीट को लेकर परेशानी झेलनी पड़ती है। दीवाली-छठ के मौके पर ट्रेनों में भीड़ कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन समस्या ये है कि रेलवे हर साल लोगों को होने वाली इस परेशानी का कोई समाधान क्यों नहीं निकाल पा रही है। दीवाली -छठ के मौके पर आप लाख कोशिश कर लें, लेकिन आपको कंफर्म रिजर्वेशन टिकट मिलने से रही। हां अगर आपका जुगाड़ है तो फिर कोई टेंशन नहीं, लेकिन आम लोगों के लिए छठ के मौके पर आसानी से घर पहुंच पाना बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में जब कि छठ के लिए अभी 4 महीने का वक्त बचा है अभी से छठ पर घर जाने वालों की परेशानी बढ़ गई है। 7 नवंबर को दीवाली और 11 नवंबर से छठ की शुरुआत है। ऐसे में छठ के दौरान घर जाने वालों के लिए बुधवार को यानी 120 दिन पहले ही रेलवे की रिजर्वेशन खिड़की खुल गई। खिड़की खुलते ही चंद मिनटों के भीतर ही ट्रेन में सीटें फुल हो गई। कुछ लोगों को या तो टिकट नहीं मिला या मिला को वेटिंग टिकट।
रेलवे रिजर्वेशन खिड़की खुली तो काउंटर पर खड़े लोगों में से कुछ लोगों को ही कंफर्म टिकट मिल पाया। वैशाली एक्सप्रेस, सप्त क्रांति एक्सप्रेस, बिहार संपर्क क्रांति एक्ट्रेस, स्वतंत्रता सैनानी एक्सप्रेस और शहीद एक्सप्रेस जैसी तमाम ट्रेनों में टिकट वेटिंग हो गई। वहीं राजधानी, शताब्दी, एक्सप्रेस-मेल तमाम ट्रेनें दिवाली और छठ पर फुल हो चुकी है। पूरब की तरफ़ जाने वाली लगभग सारी ट्रेनें अब भर चुकी है। छठ पर घर जाने वालों के लिए अब रेगुलर ट्रेनों में जगह नहीं बची है। ऐसे में अगर आप चूक गए हैं तो आप के पास दो ही विकल्प हैं, या तो आप ज्यादा कीमत चुकार तत्काल में टिकट का इंतजार करें या रेलवे की स्पेशल ट्रेनों के भरोसे बैठे। पिछले साल रेलवे ने बिहार के लिए कुल 996 ट्रेनें चलाई थी। 563 स्पेशल ट्रेनों के जरिए लाखों लोगों को छठ के मौके पर घर पहुंचाया था।