सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को सलाह- शादी में हुए खर्च का हिसाब देना अनिवार्य करे सरकार,नियम बनाकर लेनदेन को पारदर्शी बनाये
यदि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानी तो जल्द ही आपको शादी में हुए कुल खर्चे-पानी का हिसाब किताब देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह परिवारों के लिए शादी में हुए खर्चों का खुलासा करना अनिवार्य करने पर विचार करें। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक सलाह के रूप महाराष्ट्र के एक केस की सुनवाई के दौरान ये बातें कही।
कोर्ट की सुनवाई के मुताबिक, वर और वधू दोनों पक्षों को शादी से जुड़े खर्चों को संबंधित मैरिज ऑफिसर को लिखित रूप से बताना अनिवार्य कर देना चाहिए। सरकार को इस बारे में नियम- कानून की जांच-परख करके संशोधन पर भी विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कदम से दहेज के लेन-देन पर भी लगाम लगेगी। साथ ही, दहेज कानूनों के तहत दर्ज होने वाली फर्जी शिकायतें भी काफी कम होंगी।कोर्ट के अनुसार खर्च की जो सीमा तय की जाये उसमे से कुछ हिस्से को जमा राशि के रूप में रखी जाये और इसे पत्नी के बैंक अकाउंट में जमा करवाया जा सकता है ताकि भविष्य में वक्त-जरूरत पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।कोर्ट ने कहा कि इसे अनिवार्य करने पर भी सरकार विचार कर सकती है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बाबत एक नोटिस जारी कर कहा है कि सरकार अपने लॉ-ऑफिसर के जरिए इस मामले पर अपनी राय से कोर्ट को अवगत करवाए।दरअसल सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र की एक विवाहिता ने एक शिकायत दर्ज कराया था कि उसकी शादी में उसकीऔर परिवार की तरफ के काफी खर्च किये गए जो दहेज़ के रूप में दिया गया था। पीड़ित पत्नी ने पति और उसके परिवार पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। जबकि, पति-पक्ष ने पूरी तरह से दहेज लेने या ऐसी कोई मांग करने की बात से इंकार किया है।
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि विवाह संबंधी विवादों में दहेज मांगे जाने के आरोप-प्रत्यारोप सामने आते हैं। ऐसे में इस तरह की कोई व्यवस्था होनी चाहिए जिसके जरिए सच-झूठ का पता लगाने में ज्यादा से ज्यादा मदद मिले। और इसी सन्दर्भ में ये हल भी नजर आया कि यदि खर्च का हिसाब रखा जाये तो भविष्य में कभी इस तरह की शिकायतों की संभावना काफी कम हो जाएगी और बहुत सारी फर्जी या गढ़े हुए मामले अदालतों में नहीं आएंगे। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट के इस सलाह के बाद केंद्र का क्या रुख रहता है और अभी तक बेहिसाब खर्चों वाली वैवाहिक पार्टियों पर कितना अंकुश लग पाता है और पारिवारिक विवादों में कितनी कमी आ पाती है? बहरहाल हम तो यही कहेंगे दहेज़ लेकर झूठा दिखावा हम खुद ही बंद कर दे और जरूरत के अनुसार ही खर्च करें और धन को सही समय पर सही काम में लगावें।