उत्तर प्रदेश में समाजवादी परिवार के संघर्ष में जीत मुख्यमंत्री बेटे की होती दिख रही है। पहले अखिलेश यादव ने पार्टी के विधायकों की मीटिंग बुलाकर पार्टी पर अपनी पकड़ दिखाई और बाद में पिता को मार्गदर्शक की भूमिका में स्थापित कर अपने चाचा सहित सभी विरोधियों को किनारे लगा दिया। हालांकि पिछले एक सप्ताह में पार्टी कई बार टूटती नजर आई लेकिन पार्टी के ९० फीसदी विधायकों और सासंदों का साथ पाकर मुख्यमंत्री औऱ नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने झुकने से साफ इंकार कर दिया।
पिछले एक सप्ताह में कई बार मुलायम सिंह, शिवपाल यादव और अखिलेश दिल्ली -लखनऊ आते-जाते रहे औऱ मंत्रणा करते रहे। लेकिन ताजा परिस्थिते में मुलायम खेमा बैकफुट पर नजर आ रहा है। पिता मुलायम अपने बेटे अखिलेश यादव की ज्यादातर शर्ते मानने को राजी हो गए लगते हैं। यानी अब अमर सिंह एक बार फिर पार्टी से बाहर जाने वाले हैं। अखिलेश ने अमर सिंह को समाजवादी परिवार में चल रहे विवाद के मुख्य किरदार करार दिया है अखिलेश खेमा फिलहाल पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण करने की दिशा में काम कर रहा है और इसी सिलसिले में आज अखिलेश के सलाहकार चाचा औऱ पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव चुनाव आयोग जाएंगे।
शुक्रवार सुबह लखनऊ में मुलायम के घर पर एक मीटिंग हुई जिसमें अमर सिंह के अलावा शिवपाल यादव भी पहुंचे। अमर सिंह ने इस मीटिंग में इस्तीफे की पेशकश की। इससे पहले शिवपाल और अखिलेश की भी मुलाकात हुई । शिवपाव यादव ने अखिलेश को बताया कि वो खुद और और अमर सिंह इस्तीफे के लिए तैयार हैं साथ ही यह संदेश भी दिया कि नेताजी ने अखिलेश को मिलने के लिए बुलाया है।
मुलायम से मुलाकात के बाद जब अमर सिंह बाहर निकले तो वे बेहद संजीदा नजर आए और मीडिया से कोई बात नहीं की। अखिलेश यादव के करीबियों से जानकारी मिली है कि अखिलेश ने कहा चुंकि चुनाव हमें लड़ना है और हमारे चेहरे पर पार्टी चुनाव लड़ेगी इसलिये पार्टी के उम्मीदवारों पर फैसला हमारा होगा, और अगर जरुरत पड़ी तो वो राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद पिताजी को सौंप सकते हैं लेकिन टिकट बंटवारे में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।