उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दंगल के पहले राउंड में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्पष्ट तौर बड़ी लीड के साथ जीत गए हैं। पिताजी द्वारा पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने विधायकों और उम्मीदवारों की बैठक बुलाई। 224 में से 200 विधायक अखिलेश के खेमे में नजर आए वो भी तब जबकि उसी वक्त समाजवादी मुखिया मुलायम सिंह ने यादव ने भी पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई थी। मुलायम सिंह ने 295 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी उसमें से महज 60 उम्मीदवार उनके बुलाए बैठक में पहुंचे।
आज हुए इस शक्तिपरीक्षण में साफ हो गया कि पार्टी औऱ प्रदेश पर नेताजी की पकड़ ढीली हुई है और अखिलेश यादव की पकड़ मजबूत हो गई है । बैठक से पहले लंदन में बैठे अमर सिंह ने मुलायम के पक्ष में वीडियो संदेश जारी किया और अखिलेश पर वार किया, जबकि अपराधी छवि के नेता अतीक अहमद ने साफ तौर कहा कि हमारे नेता मुलायम सिंह हैं लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद अखिलेश यादव हैं और अगर हमारी वजह से पार्टी टूट की कगार पर है तो हम पीछे हटने को तैयार हैं। उसके बाद आजम खान ने पहल की और अखिलेश की बैठक में पहुंचे। पहले आजम खान ने कहा था कि वो किसी भी बैठक में नहीं जाएंगे। लेकिन वो अखिलेश की बैठक में पहुंचे और फिर वहां से अखिलेश को लेकर नेताजी मुलायम सिंह के घर पहुंचे।
अब अखिलेश यादव ने अपने पिताजी के सामने कुछ शर्तें रखी हैं। जिसमें सबसे पहली शर्त है कि अमर सिंह को पार्टी से निकाला जाए। 12 सितंबर के पहले के हालात बहाल हों। यानी अखिलेश मुख्यमंत्री बनने के साथ पार्टी पर भी अपनी पूरी पकड़ चाहते हैं। जिस तरीके से आज शक्ति परीक्षण में अखिलेश का पलड़ा भारी रहा उसमें शिवपाल यादव और अमर सिंह के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।