देश में बदल रहे आर्थिक माहौल में एक चिंताजनक खबर आई है। यह खबर देश के भविष्य से जुड़ी है। २०१४ में केंद्र में आई नरेंद्र मोदी की सरकार ने बड़े जोर-शोर से कुछ योजनाओं को शुरु किया, ऐसा माना गया कि ये योजनाएं देश को बेहतर कल देने में मददगार होगी। केंद्र सरकार ने स्टार्टअप इंडिया कैंपेन शुरु किया और नए प्रोजेक्ट्स के जरिए देश को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद शुरु की।
स्टार्टअप पर नजर रखनेवाली संस्था Tracxn के आंकड़े के मुताबिक, इस साल स्टार्टअप्स की फंडिंग करीब-करीब आधी कम हो गई है। साल 2016 में भारत के स्टार्टअप कारोबार को करीब 25,777 करोड़ रुपये का फंड मिला जबकि पिछले साल 2015 में यह रकम करीब 51,555 करोड़ रुपये थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दो साल के अभूतपूर्व उत्साह के बाद जोखिम उठानेवाले निवेशकों ने सावधानी के साथ कदम वापस ले लिया।
Tracxn के आंकड़े के मुताबिक, फंडिंग के अभाव से पूरा माहौल प्रभावित हुआ है और इस साल स्थापित स्टार्टअप्स कंपनियों की तादाद लगातार घटती जा रही है। 2015 में 9,462 से ज्यादा स्टार्टअप्स की स्थापना हुई थी जिनमें गैर-तकनीकी क्षेत्र में काम करनेवाली कंपनियां भी शामिल हैं, वहीं इस साल महज 3,029 स्टार्टअप्स ही शुरू हो पाए। पिछले साल बंद होनेवाले स्टार्टअप्स की तादाद बढ़कर इस साल 212 तक पहुंच गई।
Tracxn की मानें तो नोटबंदी के बाद आने वाले समय में इसमें और गिरावट देखी जा सकती है। बाजार में कैश की कमी से इनपर असर पड़ेगा क्योंकि संस्था यह मानती है कि स्टार्टअप के लिए कंपनियां जो पैसे में लगाती है उसमें रोजाना होने वाले खर्चे का एक बहुत बड़ा हिस्सा कैश पर निर्भर होता है। ऐसे में अभी निवेशक थोड़ा रुककर और बाजार को भांपने के बाद ही इन योजनाओँ में पैसे डालेंगे।