एक बड़े पत्रकार हैं उर्मिलेश। कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं।समाजवादी- वामपंथी मिज़ाज के पत्रकार हैं। न्यूज चैनलों के बहस- मुबाहिसा में वो अक्सर आपको मिल जाएँगे। राज्यसभा टीवी पर मीडिया मंथन नाम से भी एक शो पेश करते रहे हैं। इसमें वो मीडिया के कामकाज की समीक्षा करते हैं। देश के एक बड़े चैनल पर मोहम्मद शहाबुद्दीन पर चल रही बहस के दौरान उन्होंने पत्रकारों को एक नसीहत दी है। उर्मिलेश ने कहा है कि मीडिया बेकार का इस मुद्दे पर समय बर्बाद कर रहा है। समाज में उसे बड़े बड़े नायकों पर काम करना चाहिए जो अच्छे काम कर रहे हैं। उर्मिलेश जी आपकी पत्रकारिता की समझ पर बलिहारी होने का मेरा मन कर रहा है। पत्रकारिता के छात्रों को किस तरह की पत्रकारिता आप सिखाते होंगे मैं नहीं जानता। उर्मिलेश जी आप वामपंथी हैं। आपने भी जेएनयू में पढ़ाई की है। जेएनयू में ही चंद्रशेखर का नाम का एक ग़रीब छात्र पढ़ता था। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर की १९९७ में हत्या कर दी गई थी। उर्मिलेश जी किसी नायक की तलाश करते हुए कभी चंद्रशेखर की माँ से एक बार मिल लीजिएगा और उनसे पूछिएगा कि उनकी जिंदगी में शहाबुद्दीन का अर्थ क्या होता है।
मैं व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करता हूं पर मीडिया को चूँकि आपने नसीहत दी है इसलिए एक मीडियाकर्मी होने के नाते मैंने सीधे आपके नाम का ज़िक्र किया है।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज मलयानिल के फेसबुक वॉल से साभार