Report : Media Sarkar Bureau
नई दिल्ली। दिल्ली के लुटियन जोन को नया रूप देने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। नई दिल्ली के नए मास्टर प्लान में सबसे अहम है नया संसद भवन। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हाल ही में अपनी विेदेश यात्रा के दौरान कहा था कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ हम नए संसद भवन में मनाएँगे।
लोकसभा में अभी 545 सांसद, नए सदन को 900 सांसदों के लायक बनाया जाएगा
नए संसद भवन में 900 लोकसभा सांसदों और 400 राज्यसभा सांसदों की बैठने की व्यवस्था के साथ भवन का निर्माण किया जाएगा। मौजूदा संख्या से काफी ज्यादा सांसदों के बैठने की व्यवस्था भविष्य को देखते हुए की जा रही है। सांसदों के बैठने का इँतजाम कुछ इस तरह किया जाएगा कि संयुक्त सत्र के दौरान 1350 सांसद (भविष्य में) एक साथ बैठ सकें। नए सदन में दो-दो सांसदों के लिए एक सीट होगी, जिसकी लंबाई 120 सेंटीमीटर होगी। यानी एक सांसद को 60 सेमी की जगह मिलेगी। देश की समृद्ध परंपरा को दिखाने के लिए संसद भवन की सारी खिड़कियां अलग अलग रंग रूप में होंगी। कोई भी खिड़की किसी दूसरी खिड़की से मेल खाने वाली नहीं होगा। हर खिड़की अलग आकार और अंदाज की होगी।
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट का सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच केंद्रीय सचिवालय के लिए 10 नई इमारतें बनाई जाएंगी। नई इमारतों के लिए सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। साथ ही राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। इस प्लान में बीते तीन महीने में छह बार बदलाव किए गए हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि ये बदलाव सुझावों के मुताबिक किए गए हैं।
विजय चौक से इंडिया गेट के बीच 10 इमारतें बनेंगी
केंद्रीय सचिवालय के लिए विजय चौक से इंडिया गेट के बीच चार प्लॉट पर 10 आधुनिक इमारतें बनेंगी। इन्हीं इमारतों में केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय होंगे, जबकि अभी केंद्र के 51 मंत्रालयों में से महज 22 मंत्रालय सेंट्रल विस्टा इलाके में हैं। तीन प्लॉट में तीन-तीन 8 मंजिला इमारतें और चौथे प्लॉट में एक इमारत के अलावा कन्वेंशन सेंटर होगा। इमारतों की ऊंचाई इंडिया गेट से कम होगी। एक कन्वेंशन सेंटर भी बनेगा। इसमें 8000 लोगों की बैठक क्षमता होगी। इसमें सात हॉल होंगे। सबसे बड़े हॉल में 3500 लोग बैठ सकेंगे। 2000 की क्षमता का एक, 1000 की क्षमता के दो और 500 की क्षमता के तीन हॉल होंगे। सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और उद्योग भवन से सभी इमारतों को जोड़ने के लिए अंडर ग्राउंड पब्लिक मूवर शटल्स होंगी।
नया पीएमओ बनेगा, पीछे ही प्रधानमंत्री का आवास होगा
मौजूदा नॉर्थ ब्लॉक के पीछे उपराष्ट्रपति आवास बनेगा, जो वहां के मौजूदा अस्थाई निर्माणों को हटाकर 90 एकड़ में बनेगा। अभी उपराष्ट्रपति आवास लुटियंस जोन में ही है, लेकिन साउथ और नाॅर्थ ब्लॉक से दूर है। साउथ ब्लॉक की मौजूदा इमारत के पीछे नया पीएमओ बनेगा। उसी के पीछे प्रधानमंत्री आवास बनेगा। अभी प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर है। इस आवास को साउथ ब्लॉक के पास बनाने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रधानमंत्री के अपने आवास से दफ्तर और संसद आने-जाने के लिए ट्रैफिक नहीं रोकना पड़ेगा। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय बनेगा। दोनों इमारतों के दफ्तर सेंट्रल एवेन्यू की पहली दो इमारतों में शिफ्ट होंगे।
राष्ट्रीय अभिलेखागार इमारत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, बल्कि इस इलाके की सभी हैरिटेज इमारतों को वैसा ही रखा जाएगा। राष्ट्रपति भवन के पीछे नेशनल बायोडायवर्सिटी आर्बरीटम बनेगा। इसमें ग्लास हाउस बनाकर दुर्लभ पौधों को संरक्षित किया जाएगा। यमुना किनारे न्यू इंडिया गार्डन विकसित होगा। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अध्यक्ष पद संभालने के कुछ समय बाद ही मीडिया सरकार से बात करते हुए कहा था कि सिंगापुर के सैनटोसा की तर्ज पर यमुना किनारे यमुनोसा बनाया जाए जो पर्यावरण और टूरिज्म दोनों को लिहाज से हो तो यह दिल्ली को एक बेहतर तोहफा होगा। यमुना किनारे न्यू इंडिया गार्डन इसी कड़ी का एक अहम कदम है।