Report: Sanjeev Kumar, Senior journalist.
पहली बार नहीं डूबा हैै ये आपका बिहार
पटना समेत बिहार के कई जगह इन दिनों पानी में डूब और उतरा रहे हैं.अभी ये डूबन बाढ़ की है जिससे बिहार की जनता त्रस्त है.अभी जो हालात दिखे हैं उसमें तीन दिनो तक बिहार के छोटे सरकार यानि कि उप-मुख्य मंत्री सुशील मोदी डूबते दिखे,बड़ी मशक्कत के बाद आपदा निवारण टीम ने मोदी जी को डूबने से बचा लिया .पूरा पटना जल समाधि ले चुका था . पता चला सरकारी तंत्र पटना नगर निगम संकट से पहले की कोई तैयारी ही नहीं कर पाया था या कह लिजीये किया ही नहीं. अजी हर बार तो पटना डूबता ही है थोड़ा कम और ज्यादा, क्या फर्क पड़ता है ? कौन देखनेवाला है ?
राबड़ी जी,एक्स सी एम बिहार ने डूबते पटना पर व्हाट्स अप से कुछ संदेश देकर मरहम लगाने की कोशिश की है.अभी के बड़े दर्द की तुलना में 20 साल पहले अपने शासन के छोटे दर्द को याद दिलाकर कुछ दर्द कम करने की नियत दिखाकर सियासी रोटी पकाने की कोशिश तो कर रही हैं लेकिन वो इस बात से अनजान बनने की कोशिश भी कर रही हैं कि उनके कार्यकाल में भी नदियों में गाद की वजह से बिहार डूबता उतराता रहा . उस समय भी पटना कईबार डूबा. हां यह अलग बात है कि उससे भी बड़ा कीर्तिमान बनाने के जिद्द में सुशासन बाबू सफल रहे.
आज पटना की ही सिर्फ बात क्यूं करें,हम सिर्फ पानी में ही दूबने की बात क्यूं करे ? हम कर्ज में डूबने की बात क्यूं न करे ? हम उद्धयोग धंधे के डूब जाने की बात क्यूं न करें. हम युवाओं के भविष्य के डूबने की बात क्यूं न करें. हम बिहार के वर्तमान समेत भविष्य के डूब जाने की बात क्यूं न करें .
बिहार में घोटालों की लंबी परंपरा, चारा-अलकतरा से सृजन-शौचालय तक
बिहार मे हुए घोटालों की गूज देश ही नहीं विदेशों में भी सुनाई दी, कुछ घोटाले एेसे हुए जिसने सनसनी फैला दी। आज भी सरकार घोटालों और उसपर होने वाली कार्रवाई के बीच फंसती नजर आ रही है।
चारा
शुरूआत तो कुछ और भी रहा होगा पर हम कुछ मील के पत्थर से ही आगाज करे तो शायद हमे ंकुछ ज्यादा समझने में कसरत नहीं करनी होगी. जानवरों का खाना हम खा नहीं सकते लेकिन मजबूत डाइजेशन के हकदार लालू जी ने यहां अपनी काबिलियत दिखायी और सफलता पूर्वक उसको हजम कर लिया .
अलकतरा
सुपौल जिले में 21 साल पहले 39 लाख का अलकतरा घोटाला हुआ था। उस वक्त लालू प्रसाद ही बिहार के मुख्यमंत्री थे। उनके मंत्रिमंडल में पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन सहित छह लोगों को इस घोटाले का आरोपी बनाया गया। उन्हें सीबीआइ कोर्ट ने सुबूतो के अभाव में बरी कर दिया था।
गर्भाशय घोटाला
राज्य में वर्ष 2012 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गर्भाशय ऑपरेशन घोटाला हुआ, जिसमें बड़े पैमाने पर महिलाओं व युवतियों का अवैध तरीके से गर्भाशय निकाल कर बीमा की राशि हड़प ली गयी थी। इसमें एक महिला का गर्भाशय निकालने के लिए 30 हजार रुपये बीमा की राशि निर्धारित थी।
इंटर टॉपर्स घोटाला
इंटर टॉपर्स घोटाले के कारनामे से बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर वर्ष 2016 में काला धब्बा लगा जो मिटाए नहीं मिट सकता। इसमें इंटर की परीक्षा में हुई धांधली का खुलासा हुआ, जिसमें कई लोग आरोपी बनाए गए थे। इसमें फर्जीवाड़े से रिजल्ट तैयार किया गया था और इसके लिए करोड़ों रुपये की डील हुई थी।
सृजन घोटाला
इस घोटाले में कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में नहीं जाकर या वहां से निकालकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के एनजीओ के छह खातों मे ट्रांसफर कर दी जाती थी। इसके बाद इस एनजीओ की कर्ता-धर्ता, जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे की हेरा-फेरी करते थे।
शौचालय घोटाला
बिहार में 15 करोड़ के शौचालय घोटाले का मामला सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन सकते है। बिहार सरकार ने साल 2013 में तय किया था कि शौचालय निर्माण का पैसा किसी एजेंसी के माध्यम से लाभुकों को नहीं दिया जायेगा।
इसके बावजूद पीएचईडी के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले 10 हजार से अधिक शौचालयों का पैसा (13.66 करोड़) मई, 2016 में सीधे एजेंसी को दे दिया।
हालांकि इन कचरों को दुबारा आपके सामने लाकर सरांध नहीं अहसास कराना चाहता लेकिन बिना दर्द का अहसास कराए आपको जगाया भी नहीं जा सकता. अब आप ही बताईए आप पहले ही से लगातार नहीं डूब रहे हैं? और आज अगर पानी में डूब रहे हैं तो कैसा लग रहा है ?
अभी जो पटना डूबा है
एक बात तो तय है कि इनदिनो मौसम विभाग सभी पूर्व जानकारी बिना भ्रष्टाचार के मुहैया करा रहा है अब उनकी बातों को कोई गंभीरता से नहीं ले तो उनका क्या कसूर ? पटना में भी यही हुआ .जलनिकासी व्यवस्था से जुड़े सरकारी महकमों में नींचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार गहरे समाया हुआ है. यानी पैसा तो पूरा ख़र्च हुआ बता दिया जाता है, पर काम अधूरा ही रह जाता है. अब गुजारिश तो सुशासन से ये है कि वो मौसम विभाग की ईमानदारी का साथ दें.
सभी जानते हैं कि ठेकेदारों और नेताओं को फ़ण्ड-लूट का गुण सिखाने वाले अफ़सरान आँकड़ों की धूल झोंकने में कितने माहिर होते हैं? और अधिकारियों का यही गुण पार्टी फंड या पॉकेट फंड को मजबूत बनाता है.ख़ासकर भूमिगत नालों और सीवर के निर्माण और कचरों की सफ़ाई के सैंग्संड फं़ड में से अधिकांश को बायपास कर लेना आसान होता है. बाढ़ में सब कुछ बह जाने जैसा ! कौन ऑडिट करता है?
आप भी बिहार को डुबाने को हैं जिम्मेवार
आप समझदार हैं शायद ये भी समझ गए होंगे कि कहना क्या चाह रहा हूं और अगर आप जानबूझ कर पूरे बिहार के डूबने की वजह समझना चाहते हैं तो सुनिये. बिहार को डुबाने की सारी जिम्मेवारी आपकी है. सवाल भी आप करेंगे क्येंकि सवाल करना ही सिर्फ जानते हैं सवाल को खत्म करना नहीं .आप हर पांच साल पर अपने कथित मसीहा,तारणहार,अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं और फिर खामोश हो जाते हैं.चुनते भी हैं किस आधार पर खुद नहीं जानते हैं.लेकिन आपके प्रतिनिधि करते क्या हैं,उनके रिपोर्ट कार्ड का कभी मूल्यांकन करते हैं क्या ? मिसाल के तौर पर सभी का डाटा देना संभव नहीं पर हांडी से एक ही चावल निकाल कर देख लीजिए. इसके पहले शॉटगन यानि कि शत्रुध्न सिंहा कई बार आपके इलाके के चहुमुखी विकास के निमित्त दिल्ली तक पहुंचे. पर क्या मिला,खामोश डायलॉग सुना कर मूक बना दिया आप सबको,फिर भी बार बार उनके चमकते ग्लैमरस चेहरे से सम्मोहित होते रहे.क्या आपने ऐसे लोग को नकार पाए ? नहीं.
अभी एक और एम पी साहेब हैं नाम है दुलाल चंद गोस्वामी गए थे क्षेत्र की दुर्दशा देखने, विकास के एक सवाल पर जबाब मिला 5 बार जिताकर भेजो छठे बार विकास होगा . क्या छठी बार तक विकeस का इंतजार करेंगे आप ?
फिर काहे को मान लेते हैं कि ठीके हैं नीतीश कुमार
लालू का राज जंगल राज था ये अगर मान भी लिया जाए तो क्या उनसे थोड़ा भी कम जंगल राज वाला मुखिया मंजूर है आपको ? और अभी कौन तय करेगा कि फलां मुखिया उससे अच्छा है ? नीतीश के राज में लालू से कम भ्रष्टाचार हुआ या ज्यादा, विषय ये नहीं ,विषय ये है कि भ्रष्टाचार है कि नहीं ? इस कचरे को क्यूं झेलने को तैयार हो जाते हैॆ आप ? क्यूं हर पल डूबने को तैयार हैं आप?
भाजपा का सौतिया डाह भी झेल रहा है बिहार
बिहार की सरकारें काम नहीं कर पाती है या यूं कह लें बिहार के विकास से आज के नेता का कोई लेना देना नहींं .कभी गठबंधन की फांस में सरकार तो कभी गठबंधन की लाचारी में सरकार.इनदिनो केन्दीय सरकार मुखिया भी अपना ही चाहती है .राज्य में भी उनकी ही सरकार है . लेकिन जनता भी ऐसी है जो कुछ गलतफहमियों में ही जीना चाहती है . बिहार में लालू से विरक्ति पाने के बाद भाजपा से जा सटे जद यू के लोग कुछ ज्यादा ही सेफ मानते हैं.लेकिन दूसरी तरफ भाजपा मौके की तलाश मे है .जब बिहार की गठबंधन सरकार में भाजपा को अपने अनुकूल जगह नहीं मिल पा रही है तो ऐसे में भाजपा दॉव खेलकर कुछ हासिल करना चाहती है ये तय है कि किसी न किसी तरह अब नीतीश कुमार को पीछे धकेलने की कोशिस भाजपा करेगी .और भाजपा का यही सौतिया डाह नीतीश के लिए काल बन रहा है .
तो जबाब दीजिये काहे नहीं डूबे ये अचेतन बिहार