देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अपने अपने 70000 कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। बैंक ने उन कर्मचारियों से ओवरटाइम का पैसा लौटाने को कहा है। नोट बंदी के दौरान बैंक कर्मियों ने जी-जान लगाकर घंटों तक बैंक में अतिरिक्त काम किया था, लेकिन अब बैंक ने उन्हें उस ओवरटाइम के भुगतान को वापस करने को कहा है। बैंक ने कहा है किनोटबंदी के दौरान ओवरटाइम के लिए एसोसिएट बैंक के कर्मचारियों को जो भुगतान किया गया है वो उन्हें वापस करना होगा। आपको बता दें कि पिछले साल ही एसबीआई में 6 एसोसिएट बैंक का विलय हुआ था। अब बैंक ने इन एसोसिएट बैंकों के 70,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बैंक ने ओवरटाइम भुगतान को वापस करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि नोटबंदी के दौरान बैंकों पर अचानक से बढ़े काम के बोझ को कम करने के लिए कर्मचारियों ने 3 से लेकर 8 घंटे तक ओवर टाइम किया था। बैंक प्रबंधन ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वो उन्हें इस ओवर टाइम के लिए भुगतान करेंगे। बैंक ने उन्हें भुगतना किया भी, लेकिन अब जब कि वो भारतीय स्टेट बैंक का हिस्सा बन चुके हैं तो एसबीआई प्रबंधन ने उन सभी कर्मचारियों को मिला भुगतान वापस करने को कहा है, जो एसोसिएट बैंकों से जुड़ रहे हैं।
बैंक ने अपने इस आदेश के पीछे जो दलील दी है वो किसी को समझ में नहीं आ रही है। बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ ट्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर का एसबीआई में 1 अप्रैल, 2017 को एसीबीआई में विलय हो गया था। उस वक्त ये कर्मचारी SBI का हिस्सा नहीं थे। बैंक की दलील है कि वो सिर्फ अपने कर्मचारियों को ओवर टाइम का पैसा देने के लिए उत्तरदायी है। पूर्व एसोसिएट बैंकों के कर्मचारियों से ओवर टाइम भुगतान उनके की जिम्मेदारी उसकी नहीं है और इसलिए बैंक के उन कर्मचारियों को ओवर टाइम भुगतान की राशी लौटानी होगी।