नई दिल्ली। 2011 में की गई जनगणना के अनुसान भारत में 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि हिंदी भाषी लोगों की तादात दक्षिण में भी बढ़ी है। भारतीय भाषाओं के आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। ये आंकड़े साल 2001 के जनगणना के मुकाबले बढ़े हैं। आपको बता दें कि साल 2001 में जनगणना के मुताबिक देश में 41.03 प्रतिशत लोगों ने हिंदी को मातृभाषा बताया था, जबकि इसे बोलने वालों की संख्या 41.03 फीसदी थी। जहां हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है तो वहीं बंगाली इस बार भी दूसरे नंबर पर बरकरार है।
देश की सूचीबद्ध भाषाओं में बंगाली दूसरे ऐसी भाषा है जो देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। देशभर में 8.3 फीसदी लो बंगाली बोलते हैं, जबति तीसरे नंबर पर मराठी हैं। 2001 में तीसरे नंबर पर तेलुगू भाषा थी, जो अब खिसककर चौथे नंबर पर पहुंच गई है। देशभर में 7.09 फीसदी लोग मराठी बोलते हैं।
संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा
भारत की इस सबसे पुरानी संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है। भारत में केवल 24,821 लोगों ने अपनी मातृभाषा संस्कृत को बताया है। हैरानी की बात है कि भारत की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत बोलने वाले लोगों की संख्या बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषा से भी कम है। हमें जरूरत हैं कि हम अपनी इस पौराणिक भाषा का सम्मान करें, इसे संरक्षित रखें। वरना वो दिन दूर नहीं जब लोग संस्कृत का नाम तक भूल जाएंगे।वो सिर्फ स्कूलों के किताबों तक ही सीमित रह जाएगा।
अंग्रेजी की दबदबा
जहां संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा होकर भी अपनी पहचान खोती जा रही है वहीं अंग्रेजी का फैशन बढ़ा है। 2011 जनगणना के आंकड़े के अनुसार गैर-सूचीबद्ध भाषाओं में लगभग 2.6 लाख लोगों ने अंग्रेजी को अपनी मातृभाषा बताया। जिसमें सबसे अधिक 1.06 लाख लोग महाराष्ट्र में हैं, वहीं दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर कर्नाटक हैा