उपेन्द्र कुशवाहा के साथ तेजस्वी की खीर का स्वाद विपक्ष को मिल पाएगा ?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन डी ए ) में नाराज बताए जा रहे केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सियासी खीर बनाने का एक फॉर्मूला दिया है, उससे बिहार की राजनीति में कयासों का सिलसिला फिर आरंभ हो गया है। समय समय पर उपेंद्र कुशवाहा द्वारा दिए जानेवाले के बयानों से कई बार सियासी पंडितों को अपनी सुविधा और समझ के अनुसार कयास लगाने का मौका भी मिल जाता है। सियासी संभावनाओं में एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) राजग से टूटने जा रही है? क्या कुशवाहा समाज के सवयंभू नेता उपेंद्र इस बार कुछ दबाब वर्तमान एन डी ए गठवन्धन पर बना पाएंगे ?
पटना में बीपी मंडल के जन्म शती समारोह आयोजन में आये लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर यदुवंशियों (यादव) के दूध में कुशवंशी (कुशवाहा) का चावल मिल जाए तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगी। अागे उन्होंने अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये चीनी मिलाएंगे और दलित नेता उसमें तुलसी डालेंगे।
उन्होंने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा कि यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जातियों और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा। यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है। उपेंद्र कुशवाहा के अनुसार यह समीकरण बने तो राज्य की सत्ता आसानी से मिल जाए। सम्मेलन में कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की भी उठी। गौर तलब है कि उपेंद्र कुशवाहा शुरू से ही हर जगह दबाब की राजनीति करते आये हैं और जब नितीश कुमार से अलग हुए थे तो उस समय भी नितीश कुमार पर दबाब बनाए रखने का प्रयास किया पर उनका दबाब काम नहीं आया और ये अलग हो अपना घर तैयार कर नयी सियासत कुशवाहा गोलबंदी अभियान के रूप में कर लिया। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा वैसा कुछ नहीं कर पाए क्योंकि जिस समाज की वकालत ये करते रहे हैं उस समाज के कई और नेता जैसे नागमणि सरीखे लोगों की भी अच्छी पकड़ होने के कारण अपेक्षानुरूप सफलता नहीं मिल पायी। इसके अलावा शकुनि चौधरी और सम्राट चौधरी जैसे लोगों ने भी इनके कई सपनो पर पानी फेर दिया। अब ये अलग बात है कि 2014 की मोदी लहर में इनके हाथ कुछ सीटें लग गयी।
अब जबकि वर्तमान केंद्रीय सत्ता में भी उपेंद्र पर नाकामियों के कई ठप्पे लग गए हैं और खुद गठबंधन में कोई खास प्रभाव नहीं बना पाने की वजह से हाशिये पर दिखते रहे हैं ,ऐसे में अब बार-बार बार्गेनिंग की हरकतों से कुछ पाने की कोशिश करते रहते हैं। दूसरी तरफ खुद अपने दल को ये एकजुट नहीं रख पाए हैं और इनके कई साथी कभी इनके साथ खड़े नहीं दिखे। अब माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा धीरे-धीरे लोकसभा व विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर रहे हैं। वे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए अधिकतम सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। सीट बंटवारे पर बात बनी तो वे राजग में रहेंगे, अन्यथा राजग से दूर भी जा सकते हैं। कुशवाहा के ऐसे बयानों को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान के राजनीतिक हिसाब से तुरंत भांपने में देर नहीं की और लपकने की कोशिश भी की है। हलाकि इसके पहले तेजस्वी ने मंच से उपेंद्र कुशवाहा को भेज दिया था। अब तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि यह स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।
कुशवाहा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि इस बयान का राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। राजग के घटक दल लोजपा के सुप्रीमो राम विलास पासवान ने भी कहा कि सभी घटक दल एकजुट हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में सभी मिलकर 40 सीटों पर जीतेंगे। उधर, एक भाजपा नेता ने गोपनीयता के आग्रह के साथ कहा कि कुशवाहा का बयान दबाव की राजनीति का हिस्सा है। वे राजग में हैं और रहेंगे। कुशवाहा ने भी समय-समय पर कहा है कि वे राजग में हैं और रहेंगे।
कुशवाहा व राजग नेता जो भी कहें, राजग में सब ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुशवाहा का विरोध जग-जाहिर रहा है। चुनाव में सीट शेयरिंग का पेंच भी मुख्यत: नीतीश के जदयू को लेकर ही फंसता दिख रहा है।खासकर नितीश कुमार के सी एम पद को लेकर की गयी बयानबाजी के बाद तल्खी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। उधर, विपक्षी महागठबंधन कुशवाहा को अपने पाले करने में लंबे समय से लगा है। ऐसे में आश्यर्च नहीं कि कुशवाहा की नई राजनीतिक खीर विपक्ष का मुंह मीठा करने के काम आए।और दूसरी तरफ ऐसा ना हो जाये कि ज्यादा बढ़िया खीर बनाने को लेकर ज्यादा कुछ ख़ास मेवा -फल आदि डालने चक्कर में दूध ही न फट जाये।