वर्षों बाद मिलेगी अपनी मिटटी,घर होगा अपना,लोग होंगे अपने
दिल्ली,रियांग शरणार्थियों के अनशन के बावजूद रियांग जनजातियों का त्रिपुरा से मिजोरम वापसी 16 अगस्त से शुरू हो जाएगी। एक अधिकारी ने यहअहम जानकारी दी।कुछ शरणार्थियों ने कंचनपुर के राहत शिविरों में पांचवें दिन सोमवार को भी अनशन जारी रखा। वे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा घोषित वित्तीय सहायता के अग्रिम भुगतान की मांग कर रहे हैं। कंचनपुर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 180 किलोमीटर उत्तर में है।आंदोलन कर रहे शरणार्थी अपने मिजोरम वापसी के बाद दो हेक्टेयर जमीन की मांग भी कर रहे हैं।इसके अलावा पूजा स्थल बनाने की मुख्य मांग है।
उत्तरी त्रिपुरा के जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय के सलाहकार महेश कुमार सिंगला की शरणार्थी नेताओं व दूसरे अधिकारियों के साथ वापसी की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बैठकें हुयी हैं।उन्होंने कहा कि वापसी के दौरान त्रिपुरा सरकार शरणार्थियों को परिवहन सहित सुरक्षा और सैन्य सहायता प्रदान करेगी। त्रिपुरा के गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा त्रिपुरा व मिजोरम सरकार के अधिकारियों से मुलाकात के बाद 16 अगस्त से वापसी शुरू हो जाएगी। मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के नेता और केन्दीय अधिकारिओं की सहमति से ऐसा संभव होगा।एमबीडीपीएफ शरणार्थियों की शीर्ष संस्था है।
दरअसल रियांग एक जनजाति है जो मूल निवासी तो त्रिपुरा की है लेकिन में ये मिजोरम में भी हैं। इन रियांग को असल में पारम्परिक तौर पर ब्रू के नाम से जाना जाता है और ये ब्रू काफी बड़े तादाद में मिजोरम से विस्थापित हो त्रिपुरा की राहत-शिविरों में हैं जो काफी समय से अपनी मांगों पर अड़े हैं जिसके मान लिए जाने के बाद ही वापस लौटने की बात कर रहे हैं।
त्रिपुरा के राहत शिविरों में 18 साल से घर वापसी को लेकर गतिरोध झेल रहे रियांग शरणार्थियों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई थी। समस्या यह कि इनके नाम गृह प्रदेश मिजोरम की मतदाता सूची में जोड़े जाएं या नहीं। करीब 31,300 रियांग आदिवासी अक्टूबर 1997 से उत्तरी त्रिपुरा में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में ‘ब्रु’ कहा जाता है। इन्हें पश्चिमी मिजोरम से उस वक्त पलायन करना पड़ा था, जब एक मिजो वन अधिकारी की हत्या के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी। रियांग जनजाति कई बार की कोशिशों के बावजूद मिजोरम लौटने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। रियांग शरणार्थियों की संस्था मिजोरम ब्रु डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के महासचिव ब्रुनो माशा ने कहाथा कि हम चुनाव आयोग से अपील करेंगे कि पहले की तरह इस बार भी सभी सात राहत शिविरों में मतदाता सूची का पुनरीक्षण करवाया जाए।रियांग के बारे में कहा गया कि अगर रियांग शरणार्थियों को पुनरीक्षण प्रक्रिया से बाहर रखा गया तो यह भारत के नागरिकों के एक हिस्से के मूल अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा। इस लिए चुनाव आयोग से अपील किया गया कि वह मिजो सरकार की उन साजिशों से बचे जो राज्य के गैर मिजो आदिवासियों को उनके हक से वंचित करने के कई तरीके अपना रही है।
ऐसे में अब कई पक्षों से बातचीत के बाद उम्मीद जगी है कि वर्षों से अपनी धरती से अलग रह रहे रियांग के लोगों को वापस घर लौट कर आजादी से जीने का हक़ मिल जायेगा। इस मामले में राज्यों से बातचीत के अलावा केंद्र के हस्तक्षेप की सख्त जरूरत थी जो अब एक योजना के तहत रियांग के लोगों के दस सूत्री मांगों को नजर में रखते हुए बनाकर वापस लौटने की सहमति में अहम् रोल अदा करेगा। अब इंतज़ार है 16 अगस्त का जिस दिन से ये शरणार्थी अपने घर वापस लौटने लगेंगे।