नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री एक बार फिर से उलझ गई है। आरुषि तलवार और हेमराज के हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे राजेश-नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेनिफिट ऑफ डाउट देते बरी कर दिया। 2013 में सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपती को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन कल के फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपत्ति को संदेह का फायदा देते हुए बरी कर दिया। आपको ऐसी 4 अहम वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिसका फायदा तलवार दंपत्ति को मिला है। 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार स्थित घर में आरुषि की हत्या का आरोप उनके माता-पिता पर लगा, लेकिन इलाहाबाद कोर्ट ने सीबीआई के सामने ऐसे कई सवाल रखे, जिसका जवाब सीबीआई नहीं दे पाई और तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया ग या।
पहला सवाल-सीबीआई ने कहा था कि आरुषि-हेमराज की हत्या एक कमरे में हुई। बाद में हेमराज का शव छत पर ले गए। सीबीआई की इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि अगर हेमराज की हत्या आरुषि के कमरे में ही की गई तो उसका ब्लड आरुषि के कमरे में क्यों नहीं मिला? सीबीआई ने इस पर दलील दी कि उसके सिर में चोट लगी, वहां से तुरंत खून नहीं निकलता है। लेकिन कोर्ट ने डॉक्टर के डेमो के बाद उनकी इस दलील को खारिज कर दिया।
सवाल नबंर 2 कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि नौकरानी भारती ने पहले कहा था उसने वहीं कहा जो उसे समझाया गया वही बयान दिया। कोर्ट ने दरवाजा बंद कर नौकरानी को चाबी देने का डेमो वीडियो दिखाने को कहा, जो सीबीआई पेश नहीं कर पाई।
तीसरा सवाल-हत्या के वक्त दरवाजा बंद था। घर में 4 लोग थे, जिसमें से दो की हत्या हो गई थी तो बाकी के दो हत्यारे हैं। सीबीआई की इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा अगर कोई आया नहीं तो शराब की बोतलें कहां से आईं।
चौथा सवाल अपनी दलील में सीबीआई ने कहा कि आरुषि पर सेक्सुअल असॉल्ट हुआ। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने गवाही दी है। लेकिन कोर्ट में ये बात साबित हुई कि डॉक्टर ने सब्जेक्टिव फाइंडिंग के आधार पर राय दी। इन्हीं संदेहों का फायदा तलवार दंपत्ति को मिला।