कानून में बड़ा बदलाव,बच्चियों से बलात्कार में सजा के लिए कार्रवाई को दिया तय समय
बारह साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषी या दोषियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान वाला आपराधिक क़ानून (संशोधित)विधेयक 2018 संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति महोदय की मंजूरी के बाद ये कानून के रूप में लागू हो जायेगा। ज्ञात हो कि 21 अप्रैल को एक क्रिमिनल लॉ(संशोधित) अधिनियम बनाया गया था,अब उसी की जगह ये नया संशोधित क़ानून का रूप लेगा।
इस नए बिल पर बहस में मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व वाला ऐसा कानून होगा जो त्वरित काम करेगा और दोषी को शीघ्र सजा का फैसला करेगा,राजस्थान,मध्यप्रदेश,हरियाणा और अरुणांचल प्रदेश में ऐसा कानून पहले ही आ चुका है अब बलात्कार के मामले में कम से कम 20 साल और अधिकतम जीवन पर्यन्त कैद तक की भी सजा हो सकती है। नया क़ानून कहता है कि यदि पीड़िता 16 साल से काम की है तो कोई अग्रिम जमानत नहीं मिल पायेगी। ऐसे मामलों में भी दोषियों की सजा अब 10 साल की जगह 20 साल होगी। इसके अलावा इस सजा को उम्र कैद में भी बदला जा सकता है।
तय समय में केस की सुनवाई पूरी करनी होगी
इस नए क़ानून में प्रावधान किया गया है कि पीड़िता को न्याय में देर ना हो और इसके लिए यह तय किया गया है कि दुष्कर्म के किसी भी मामले की जाँच दो माह में पूरी हो जाये ,और इसके बाद दो महीने में ट्रायल पूरा करना होगा। अधिकतम छह माह में केस का निस्तारण करना होगा। दूसरी तरफ अब महिलाओं के साथ दुष्कर्म के दोषी को निर्धारित सात साल की सजा अब दस साल होगी।
गौर तलब है की 21 अप्रैल को जिस अधिनियम का सहारा लिया गया था वो उन्नाव और कठुआ जैसे जघन्य अपराध के बाद चारो तरफ से विरोध की आवाज उठाने के बाद सरकार ने त्वरित करवाई के तहत लिया था,अब इसे कुछ संशोधन के बाद क़ानून का रूप दे दिया गया।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी रेप के दोषियों को कड़ी सजा देने का रास्ता साफ कर दिया है। राजस्थान में विधानसभा में बीते शुक्रवार को 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा के प्रावधान वाला बिल पास कर दिया गया।
मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान अब देश का दूसरा राज्य बन गया है,जहां दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। मध्य प्रदेश में 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने पर फांसी की सजा का प्रावधान ह। सरकार का मानना है कि इस बिल के पास होने पर अब ना सिर्फ बलात्कार की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों को कड़ी सजा भी दिलाई जा सकेगी।
गौरतलब है कि नाबालिग बच्चियों के साथ रेप और फिर उनकी नृशंस हत्याओं की एक के बाद कई वारदातें सामने आने के बाद राज्य सरकारों में भी खलबली मची हुई थी। एनसीआरबी द्वारा जारी किए आंकड़ों ने इस मुद्दे को और भी बल दिया। आंकड़ों में रेप की घटनाओं को लेकर अव्वल रहने पर लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने सबसे पहले यह बिल पेश किया था जिसे विधानसभा में पारित भी कर दिया गया था।
क्या कहता है पोक्सो कानून
पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्शुअल अपराध इस कानून के दायरे में आता है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की दोनों को ही प्रॉटेक्ट किया गया है। इस ऐक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट और पॉर्नोग्रफी जैसे अपराध से प्रॉटेक्ट किया गया है। 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है। पॉक्सो कानून की धारा-3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है। इसके तहत कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई भी ऑब्जेक्ट या फिर प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चों को किसी और के साथ ऐसा करने के लिए कहा जाता है या फिर बच्चे से कहा जाता है कि वह ऐसा उसके (आरोपी) साथ करे तो यह सेक्शन-3 के तहत अपराध होगा और इसके लिए धारा-4 में सजा का प्रावधान किया गया है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर मुजरिम को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
बलात्कार की नई परिभाषा
आईपीसी की धारा-375 में दुष्कर्म मामले में विस्तार से परिभाषित किया गया है। इसके तहत बताया गया है कि अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह बलात्कार होगा। साथ ही मौजूदा प्रावधान के तहत महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही दुष्कर्म के दायरे में होगा। इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है,तो वह भी दुष्कर्म के दायरे में होगा।