स्वामी ज्ञानस्वरूप अस्पताल में भी अनशन पर ही रहे,सदन कानून बनाये,शर्त रखा,कई एक्टिविस्ट आये समर्थन में
हरिद्वार स्थित मातृ सदन में आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद को पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने एम्स में भर्ती कराया था। इस हालत में भी सानंद का अनशन जारी रहा। इनका आरोप है कि प्रधानमंत्री चार साल से गंगा नदी की अविरलता व निर्मलता के वादे को पूरा नहीं कर पाए हैं। इसी वजह से स्वामी सानंद का भरोसा टूट गया। वह 22 जून से हरिद्वार के मातृ सदन में आमरण अनशन पर बैठे थे।अनशन पर बैठने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री को तीन पत्र भी लिखे,लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब 10 जुलाई को बगैर पूर्व सूचना के उत्तराखंड पुलिस उन्हें जबरन उठा ले गई थी,यह गंगा के साथ अन्याय है।जबरन स्वामी को अनशन से उठाने के मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और आदेश किया कि स्वामी के इलाज का खर्च सरकार वहन करे और यदि उनकी स्थति ठीक है तो उन्हें वापस मातृ-सदन जाने की व्यवस्था करे।
हलाकि अभी भी स्वामी सानंद अनशन पर हैं और उन्होंने कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती, उनका अनशन जारी रहेगा। स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद गंगा की स्वछता, निर्मलता और अविरलता के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ मातृ सदन में आमरण अनशन पर बैठे थे। 86 वर्षीय सानंद को हालत बिगड़ने के चलते ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया था।
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के अनुसार उनकी कुछ मांगे हैं,जिसमें गंगा पर बन रहे बांधों के कार्यों को तब तक रोक दिया जाए,जब तक कानून पूरी तरह से सदन में पारित न हो जाये। उनका यह भी कहना है कि गंगा को लेकर एक गंगा भक्त परिषद का गठन हो, जिसमें ऐसे लोग शामिल हों,जिन्होंने गंगा के लिए कुछ काम किये हों। परिषद के सभी सदस्य गंगा के भीतर खड़े होकर शपथ लें कि वे जो भी कार्य करेंगे,उससे गंगा को हानि नहीं होगी। लेकिन इस ओर से प्रधान मंत्री या केंद्र से कोई पहल नहीं की गयी है। ऐसे में अब धीरे-धीरे कई संस्थाओं के लोग इनसे जुड़कर इनकी लड़ाई मे साथ देने आगे आ रहे हैं।