कई नए इलाके भी आ सकते हैं चपेट में प्रशाशन ने दी चेतावनी
नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से कोसी के जलस्तर में वृद्धि हो गई है। कोसी बराज से पिछले शुक्रवार को करीब 1 लाख 96 हजार क्यूसेक डिस्चार्ज रिकॉर्ड किया गया। जिसका असर अब बिहार के कई इलाकों में अब देखने को मिल रहा है। इसके कारण तटबंध के भीतर बसे 60 गांवों के लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। करीब 85 हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में है। तटबंध के भीतर जल अधिग्रहण क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक गांवों में डेढ़ से दो फीट जलस्तर में वृद्धि हो गई है। बढ़ते जलस्तर के कारण प्रभावित क्षेत्र के लोग ऊंचे स्थान की ओर धीरे-धीरे पलायन करने लगे हैं। पानी बढ़ने से कई गांव के लोगों का एक से दूसरे गांव का सड़क संपर्क पूरी तरह भंग हो गया है। मवेशी की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। लोगों के चूल्हे में भी पानी घुस गया है। कई जगहों पर लोग या तो ऊँची जगह पर राहत का इंतज़ार कर रहे हैं या छतों पर शरण लिए हुए हैं। सबसे ज्यादा परेशां वो लोग हैं जो तटबंधों की तलहटी में बसे हुए हैं।अभी तीस से ज्यादा ऐसे गांव हैं जो आंशिक रूप से पानी में डूब चुके हैं और वहां का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
‘बिहार का शोक’ कही जाने वाली कोसी नदी में भी दिनोंदिन पानी बढ़ रहा है। कोसी का जलस्तर बढ़ने से कोसी के तटबंधों के भीतर रहने वाली 10 लाख आबादी को विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। इसके अलावा बाढ़ से घर बर्बाद होंगे और मवेशी मारे जाएंगे,वह नुकसान अलग होगा।
सुपौल में कोसी तटबंध के भीतर कई गांव में रहनेवाले लोगों का कहना है कि अब तक बाढ़ के कारण सात बार विस्थापित हो चुके है,उन लोगों के अनुसार ‘नदी की पेटी पूरी तरह भर चुकी है। बाढ़ कब आ जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए संभावना है की बढ़ की विनाशलीला अभी और बढ़ सकती है। पहले की बाढ़ के दौरान आई कठिनाइयों को याद करते हुए लोग कहते हैं, ‘बाढ़ आती है, तो कोसी तटबंध पर जाना पड़ता है या फिर बांध की दूसरी तरफ शरण लेनी पड़ती है। खाने से लेकर पीने के पानी तक के लिए जूझना पड़ता है। सबसे बुरी हालत तो मवेशियों की होती है। उनके लिए चारे का इंतजाम भी मुश्किल होता है।‘बाढ़ में घर टूटने व मवेशियों के मरने पर कोई मुआवजा नहीं मिलता है। हां,अगर फसल बर्बाद हुई,तो कुछ रुपये मिल जाते हैं। ‘
उधर बाढ़ के और ज्यादा बढ़ते खतरे के प्रति अधिकारिओं ने चेताया है कि बाढ़ से सुरक्षा के हर संभव इंतज़ाम किये गए हैं फिर भी लोगों को एहतियातन बताया गया है कि वो सुरक्षित जगहों पर रहे या चले जाये। सभी मुखिया को आदेश दिया गया है कि वे अपने पंचायत की वस्तुस्थिति को अवगत कराएं। कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से नाव का परिचालन नहीं कर सकते है। क्षमता से अधिक नाव पर लोगों को नहीं बैठाएं।यूँ तो प्रशाशन का दावा है कि राहत भी जोरों पर है और बाकि पुनर्वास के भी सारे इंतज़ाम हैं पर स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा कुछ भी नहीं है। लोगों में असंतोष इस बात को लेकर है कि इस इलाके में हर साल बाढ़ अपनी त्राशदी दिखती है परन्तु तंत्र समय पर काम नहीं करता और बाढ़ आने के बाद जो कुछ किया जाता है वो नाकाफी होता है।