कैसे लड़ेंगे लड़ाई 2019 की,जाति की जंग में फंसी मोदी की टीम
सियासत करवट लेती है तो उसकी चपेट में आकर बड़े-बड़े लोग धाराशायी हो जाते हैं . खासकर इन दिनो 2019 की जंग की तैयारी में लगे हर योद्धा चित्त-पट के खेल में लगे दिख रहे हैं .कभी आरक्षण तो कभी राम के नाम पर देश भर में आन्दोलन के नाम पर भोली-भाली जनता के कन्धे से निशाना लगाया जाता है . ये सियासी ड्रामेबाज तथाकथित जन नेता जनता के मन मे ब्लैकमेलिंग से सेंध लगाकर अपनी सियासी भूख को शांत करते हैं .
भारत बन्द सफल रहा या फेल ,अब ये विचार का विषय नहीं रहा .विचार का विषय ये है कि जनता इस तरह की घोषणा पर घर से बाहर निकल कैसे जाती है , या तो जनता जरूरत से ज्यादा इस तरह की बातों के प्रति काफी संवेदनशील हो गयी है या फिर अपने तथाकथित नेता के द्वारा ठगी चली जाती है .
हालाकि चुनावी बुखार से जब ये नेता ग्रस्त होते हैं तो इसका साइड इफेक्ट आम जनता को ही झेलना पड़ता है .बात हम आरक्षण की करें या फिर ्अगड़े-पिछड़े के नाम पर किसी तरह की बंटवारे की जब तक जनता नेताओं के टार्गेट में नहीं आती उनका मकसद बी पूरा नहीं होता .
मुद्दे कोई भी क्यों न हो, रास्ता तो सुर्खियों में आने का एक ही होता है .आलदोलन , वो आन्दोलन जिसने विध्वंश का रूप लेकर समाज और शाशन के सामने बड़ा विकराल रूप धारण कर रखा है .और ककथित तौर पर ये आन्दोलन महज अपना वजूद और औकात दिखाने भर का नाटक बनकर रह गया है ,
चाहे आन्दोलन सपोर्ट में हो या खिलाफत में जिस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं क्या उसके बारे में कभी किसी आन्दोलन या विरोध-प्रदर्शन करने या करवाने वाले ने सोचा है कि इसके अंजाम क्या होते हैं . आगरा में आज एक बच्ची ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया . पेट्रोल नहीं मिलने की वजह से एक सख्श अस्पताल नहीं पहुंच पाया और इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया .
ये बानगी है . करोड़ो की सम्पत्ति का देशभर में नुकसान पहुंचाया गया .तोड़-फोड़ किए गए .देश भर में ट्रेने रोक ही गयी जरूरतमंद अलग-अलग हिस्सों में अपने घरों में कैद होकर रह गए .
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मोदी जी बाजी जीते नजर आए थे लेकिन भारी भारत बन्द को देखकर मोदी जी को भी वोट की चिन्ता सताने लगी और आनन-फानन में आकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट नया रास्ता ढूंढ लिया विरोधी आवाजों को शांत कर डैमेज कंट्रोल करने के लिए .लेकिन एकबार फिर सरकार का विरोध जोरदार तरीके से हुआ है, अब देखना है कि इसबार मोदी जी कौन सा पत्ता फेंक अपने लिए कोई सेफ वे बना लेते हैं .