नई दिल्ली। महाराष्ट्र पुलिस ने देश भर में कई राज्यों में छापेमारी की और जिसमें पांच वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया गया । दरअसल भीमा -कोरेगांव में हिंसा और नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश मामले में ये गिरफ्तारी हुई थी। इसी गिरप्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें न्यायाधीशों की खंडपीठ ने गिरफ्तार किये गए 5 वाम विचारकों को घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया। इस खंडपीठ में तीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ,एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे।
सुनवाई के दौरान चंद्रचूड़ ने कहा कि इस प्रकार की करवाई से ‘विरोध ‘ जताने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है ।अगर इसे छेड़ा तो विस्फोट हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सेफ्टी वॉल के साथ खिलवाड़ किया गया तो लोकतंत्र में विस्फोट हो जाएगा। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में देश के छः राज्यो में छापेमारी के दौरान वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया गया, इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच अन्य लोगों ने गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका के सुनवाई पर केंद्र सरकार ,महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करते हुये जवाब देने को कहा गया है। कोर्ट ने फिलहाल अभी उन पांच लोगों को पुलिस की देखरेख में उनके घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में जब याचिका पर सुनवाई हुई तो उस पर महाराष्ट्र सरकार के वकील ने विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है।इसी बात पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने याचिका के मुद्दे का समर्थन करते हुए कहा कि अगर विरोध के मत को दबा दिया जाएगा तो समाज में विस्फोट हो जाएगा, क्योंकि असहमति लोकतंत्र में सेफ्टी वाल्व की तरह होती है।
रोमिला थापर सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने मत का विरोध करने वालों पर आरोप लगाया है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले के पांच आरोपियों को नौ महीने पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया जिसके कारण आज यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है ,असल में इस मुद्दे की वजह से मानव जीवन के अधिकारों का हनन हो रहा है ,फिलहाल अभी कोर्ट ने अपने अगले आदेश तक याचिका को ध्यान में रखते हुए सरकार और पुलिस को जवाब देने और पांच माओवादियों को नजरबंद रखने को कहा है।