कई दिनों से सोच रहा था आज लिख ही देता हूं …बिहार की इंटरमीडिएट टॉपर रूबी राय जेल में है, उस जेल में जहां राज्य के दुर्दांत कैदी रखे जाते हैं। रूबी का क्या गुनाह है और उसपर क्या आरोप हैं अब देश जानता है। लेकिन यहां मेरे मन में कुछ सवाल पैदा हो रहे हैं और इन सवालों का जवाब राज्य और देश के शिक्षा “निती” नीति से जुड़े लोगों जरूर देना चाहिए। आपलोग बताइए कि हमारे देश की परीक्षा पद्धति क्या कहती है । परीक्षा में अंक किस आधार पर दिए जाते हैं, कॉपी में लिखने के आधार पर या फिर आपकी जानकारी, आपके ज्ञान के आधार पर । अगर लिखने के आधार पर नंबर दिए जाते हैं तो रुबी राय और दूसरे टॉपर्स का साक्षात्कार क्यूं…। अगर ज्ञान के आधार पर दिए जाते हैं तो फिर अगर कोई छात्र परीक्षा के वक्त ठीक से कॉपी में नहीं लिख पाए तो क्या उसको अपना ज्ञान दर्शाने के लिए मौका मिलेगा।
मान लीजिए कि अगर बिहार इंटरमीडिएट के एक हजार छात्र इस बात को लेकर प्रदर्शन करें कि उनके नंबर उनके ज्ञान से कम आए हैं तो क्या सरकार उन सबका साक्षात्कार लेगी और उस आधार पर उनका परिणाम तय होगा। हो सकता है जब रूबी राय ने परीक्षा में लिखा हो तो उसको कई चीजें रट्टा मार कर याद की हो अब भूल गई हो, इसमें उसका गुनाह कहां है। हम अपने सिस्टम को दुरुस्त करने की बजाय छोटी-छोटी चीजों में उलझे हुए हैं। पाप खत्म करने के बजाय पापी को सजा देने की होड़ लगी है।
अनिल सद्गोपाल का नाम आप लोगों ने सुना होगा.. तकरीबन २० साल पहले अखबार के लिए हमने उनसे काफी लंबी बात की थी, देश की शिक्षा व्यवस्था पर । अनिल सद्गोपाल अद्भुत शिक्षाविद हैं। उन दिनों नई शिक्षा नीति का जोर था अनिल जी ने सबसे पहले देश की परीक्षा पद्धति पर सवाल उठाए थे। उनका मानना था कि वर्तमान पद्धति में परीक्षा और ज्ञान का कोई मेल नहीं हो सकता। उनकी बात काफी दमदार और गंभीर थी। अगर कोई छात्र किन्हीं वजहों से परीक्षा में दिए गये २० पन्नों पर अपनी बात नहीं कह पाता आप उसे नकारा साबित कर देते हो, हम ज्ञान अर्जन की बजाए परीक्षा के लिए पढ़ रहे हैं।
ऐसे में अगर रुबी राय या फिर किसी और ने परीक्षा की इस पद्धति का फायदा उठाया तो गुनाह उसका कैसे हुआ….। हमें जरा गंभीरता से सोचना चाहिए.. इस मामले में मीडिया भी अधूरी जानकारी के साथ अपनी ताल ठोक रहा है । दरअसल समस्या एक रूबी राय या एक सौरभ के परीक्षा परिणाम से नहीं है समस्या इस सिस्टम से है और गुनहगार उसे बनाने वाले, उसे पोसने वाले और उसकी आड़ में रूबी राय पैदा करने वालों से है । हमें रूबी राय से सहानूभूति है और हमें उसका शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसकी वजह से इतनी बड़ी समस्या की तरफ सबका ध्यान गया लेकिन अगर फिर भी सुधार नहीं हो तो मेरी तरफ से लानत का एक टोकरा प्रदेश के, देश के शिक्षा नीति से जुड़े सज्जनों को सादर।